Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 इस एक व्रत से मिलता है पूरी धरती दान करने का फल | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

Home » प्रशासन » इस एक व्रत से मिलता है पूरी धरती दान करने का फल

इस एक व्रत से मिलता है पूरी धरती दान करने का फल

god-vishnuशास्त्रों में स्वर्ण दान और भूमि दान को उत्तम दान कहा गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति भूमि दान करता है उसे मृत्यु के बाद उत्तम लोक में स्थान मिलता है। पुनर्जन्म होने पर व्यक्ति अपार धन और भूमि का स्वामित्व प्राप्त करता है।

लेकिन जिस व्यक्ति के पास भूमि दान करने की क्षमता नहीं हो वह इस पुण्य को कैसे प्राप्त कर सकता है इसके लिए पद्पुराण कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति को श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करना चाहिए। इस एकादशी का नाम कामिका एकादशी है। इस एक व्रत को करने मात्र से संपूर्ण पृथ्वी दान करने का पुण्य प्राप्त हो�जाता है। इस वर्ष यह एकादशी 2 अगस्त को है।

भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा है कि जो फल वाजपेय यज्ञ करने से प्राप्त होता है वही फल कामिका एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है। कामिका एकादशी के विषय में कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना में मन लगाता है उसे सभी पाप मिट जाते हैं और व्यक्ति उत्तम लोक में स्थान प्राप्त करने योग्य बन जाता है।

कामिका एकादशी की कथा
प्राचीन काल में एक गांव में एक ठाकुर जी रहते थे। ठाकुर जी का एक ब्राह्मण से झगड़ा हो गया और क्रोध में आकर ठाकुर ने ब्राह्मण की हत्या कर दी। बाद में उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा। अपराध की क्षमा याचना के लिए ठाकुर ने ब्राह्मण का क्रिया कर्म करना चाहा। परन्तु पंडितों ने क्रिया कर्म में शामिल होने से मना कर दिया और वह ब्रह्म हत्या का दोषी बन गया। तब ठाकुर ने एक मुनि से निवेदन किया कि हे भगवान, मेरा पाप कैसे दूर हो सकता है।

इस पर मुनि ने उसे कामिका एकादशी व्रत करने की सलाह दी। ठाकुर ने नियम पूर्वक एकादशी का व्रत किया। रात में भगवान की मूर्ति के पास जब वह सो रहा था, तभी उसे सपने में भगवान के दर्शन हुए। भगवान ने कहा कि मैंने तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दिया है। इस तरह ठाकुर ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो गया।

कामिका एकादशी पूजा-विधि
दशमी के दिन शुद्घ आहार ग्रहण करें। सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन प्रातः काल स्नानादि से पवित्र होने के पश्चात संकल्प करके श्री विष्णु के विग्रह की पूजन करना चाहिए। भगवान विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत आदि नाना पदार्थ अर्पित करें।

शास्त्र में कहा गया है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी का पत्ता चढ़ाएं तथा भगवान के सामने घी अथवा तिल का दीपक जलाना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा करता है उसके पितृगण पितर लोक में आनंद मनाते हैं और उनकी सद्गगति होती है। ऐस व्यक्ति मृत्यु के बाद उत्तम लोक में जाता है।

इस एक व्रत से मिलता है पूरी धरती दान करने का फल Reviewed by on . शास्त्रों में स्वर्ण दान और भूमि दान को उत्तम दान कहा गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति भूमि दान करता है उसे मृत्यु के बाद उत्तम लोक में स्थान मिलता है। पुनर्जन् शास्त्रों में स्वर्ण दान और भूमि दान को उत्तम दान कहा गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति भूमि दान करता है उसे मृत्यु के बाद उत्तम लोक में स्थान मिलता है। पुनर्जन् Rating:
scroll to top