लखनऊ।। आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल की पहली पोस्टिंग ग्रेटर नोएडा में हुई। वह सब-डिविजनल मैजिस्ट्रेट (एसडीएम) बनकर आई थीं। इनकी पोस्टिंग के मुश्किल से 6 महीने हुए थे कि अखिलेश यादव सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया। शनिवार को नागपाल ने ग्रेटर नोएडा में अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनाई जा रही मस्जिद की दीवार को तोड़ने का आदेश दिया था। उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार का कहना है कि नागपाल ने रमजान के पवित्र महीने में समस्या खड़ा करने वाला फरमान जारी किया था। अखिलेश यादव ने कहा कि सांप्रदायिक तनाव से बचने के लिए हमें यह फैसला लेना पड़ा। मुख्यमंत्री के इस फैसले पर यूपी आईएएस असोसिएशन ने नाराजगी जताई है। असोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को यूपी के मुख्य सचिव से मिला। प्रतिनिधिनमंडल के साथ दुर्गा नागपाल भी थीं।।
अखिलेश यादव सरकार के इस तर्क को लोग बहाने के रूप में देख रहे हैं। लोगों का मानना है कि दुर्गा शक्ति नागपाल जिस तरीके से काम कर रही थीं, उसका नतीजा अखिलेश सरकार में यही होना था। नागपाल रेत खनन माफियाओं पर लगातार शिकंजा कसती जा रही थीं। ऐसे में अखिलेश सरकार पर खनन माफियाओं का भारी दबाव था कि नागपाल को हटाया जाए।
नागपाल 2009 बैच की आईएएस ऑफिसर हैं। कुछ हफ्तों से ग्रेटर नोएडा में अवैध खनन पर लगाम कसने के लिए नागपाल युद्धस्तर पर काम कर रही थीं। उन्होंने यमुना नदी से रेत से भरी 300 ट्रॉलियों को अपने कब्जे में किया था। नागपाल ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यमुना और हिंडन नदियों में खनन माफियाओं पर नजर रखने के लिए विशेष उड़न दस्तों का गठन किया था। नागपाल ने सस्पेंड होने से पहले ही कहा कि था इन माफियाओं पर कार्रवाई की वजह से धमकियां मिलती हैं।
नागपाल पर सरकार के फैसले के बाद विपक्ष हमलावर तेवर में आ गया है। विपक्ष ने एक सुर में कहा कि अखिलेश सरकार को माफिया चला रहे हैं, इसलिए ईमानदार आईएएस को सजा दी गई। बीजेपी से सीनियर नेता कलराज मिश्रा ने कहा कि अब यह साबित हो गया है कि सरकार उन ऑफिसरों को बर्दाश्त नहीं करेगी जो माफियाओं के खिलाफ हैं। आखिर दुर्गा शक्ति नागपाल की गलती क्या थी कि उन्हें सस्पेंड कर दिया गया? पहले से ही उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर चिंता कायम है। वहीं अखिलेश सरकार के इस फैसले की चौतरफा आलोचना हो रही है।