श्रीहरिकोटा, 22 जून (आईएएनएस)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सहित पूरा देश बुधवार सुबह एक साथ 20 उपग्रहों के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण का गवाह बना। भारतीय रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) से पृथ्वी की निगरानी करने वाले उपग्रह काटरेसैट, गूगल कंपनी का टेरा बेला और अन्य 18 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया।
श्रीहरिकोटा, 22 जून (आईएएनएस)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सहित पूरा देश बुधवार सुबह एक साथ 20 उपग्रहों के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण का गवाह बना। भारतीय रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) से पृथ्वी की निगरानी करने वाले उपग्रह काटरेसैट, गूगल कंपनी का टेरा बेला और अन्य 18 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया।
इस मिशन के साथ ही भारत ने एकल प्रक्षेपण यान से 20 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर एक नया इतिहास रच दिया।
इसरो के अध्यक्ष ए.एस. किरण कुमार ने प्रक्षेपण के बाद कहा, “पीएसएलवी रॉकेट ने अपना काम किया है। अब हम नई पीढ़ी के काटरेसैट उपग्रह से संपन्न हैं।”
44.4 मीटर लंबे और 320 टन वजनी पीएसएलवी रॉकेट बुधवार सुबह 9:26 बजे आकाश को चीरता हुआ अंतरिक्ष के लिए प्रस्थान किया।
अपनी उड़ान के 17 मिनट में ही पीएसएलवी ने काटरेसैट को 515 किलोमीटर की ऊंचाई पर अलग कर दिया।
यह रॉकेट दो अन्य भारतीय उपग्रहों को भी ले गया है, जिसमें सत्यभामा विश्वविद्यालय का 1.5 किलोग्राम वजनी सत्याभामासैट उपग्रह ग्रीन हाउस गैसों के आंकड़े एकत्र करेगा। वहीं, पुणे का एक किलोग्राम का स्वायन उपग्रह हैम रेडियो कम्युनिटी को संदेश भेजेगा।
रॉकेट ने इन्हें भी जल्द ही कक्षा में स्थापित कर दिया।
इसरो ने पहली बार इस मिशन के तहत एक ही रॉकेट से 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है।
साल 2008 में इसरो ने पीएसएलवी रॉकेट से 10 उपग्रह प्रक्षेपित किए थे। अब तक भारत अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ताओं के लिए 74 उपग्रहों का सफल प्रक्षपेण कर चुका है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस सफलता पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई दी।
मुखर्जी ने इसरो के अध्यक्ष को भेजे संदेश में कहा, “मैं इसरो को पीएसएलवी-सी34 के जरिए काटरेसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह समेत, 19 अन्य उपग्रहणों के सफल प्रक्षेपण के लिए हार्दिक बधाई देता हूं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “एक बार में 20 उपग्रह! इसरो लगातार सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ता जा रहा है। इस सफलता के लिए हमारे वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई।”
कांग्रेस उपाध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसरो के अध्यक्ष को बधाई देते हुए एक बयान में कहा, “छोड़े गए कुल 20 उपग्रहों में से 17 विदेशी उपग्रह हैं, जिनमें अमेरिका व गूगल का उपग्रह भी शामिल है। एक साथ इतने उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के साथ ही इसरो ने 1960 में अपनी स्थापना के बाद से लेकर अब तक उल्लेखनीय प्रगति की है।”
इस रॉकेट का मुख्य और सबसे वजनी हिस्सा पृथ्वी के अवलोकन से संबंधित 725.5 किलोग्राम का काटरेसैट-2 श्रृंखला का उपग्रह है। इसकी आयु पांच साल है।
यह उपग्रह, इसके पहले के काटरेसैट-2, 2ए और 2बी के समान ही है।
अन्य 19 उपग्रहों में 560 किलोग्राम वजनी अमेरिका का उपग्रह, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया के उपग्रह और चेन्नई के सत्यभामा विश्वविद्यालय और पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के दो उपग्रह शामिल हैं।
इस पूरे मिशन में करीब 26 मिनट का समय लगा।
काटरेसैट उपग्रह से भेजी जाने वाली तस्वीरें काटरेग्राफिक, शहरी, ग्रामीण, तटीय भू-उपयोग, जल वितरण और अन्य अनुप्रयोगों के लिए मददगार होंगी।
इसरो के मुताबिक, गूगल कंपनी टेरा बेला का 110 किलोग्राम वजनी स्काईसैट जेन2-1 एक छोटा उपग्रह है, जो सब-मीटर रिजोल्यूशन इमेज लेने और हाई डेफेनेशन वीडियो बनाने में सक्षम है।
अन्य 560 किलोग्राम के 19 विदेशी उपग्रहों में कनाडा का 85 किलोग्राम वजनी एम3एमसैट, इंडोनेशिया का 120 किलोग्राम वजनी एलएपीएसएन-ए3, जर्मनी का 130 किलोग्राम वजनी बीआईआरओएस और कनाडा का ही 25.5 किलोग्राम वजनी जीएचजीसैट-डी उपग्रह शामिल है।
इसरो अध्यक्ष कुमार ने कहा कि पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों का आकार वैश्विक स्तर पर छोटा हो रहा है और इसरो ने भी अपने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह का आकार छोटा कर रहा है।
कुमार ने कहा कि अगले पांच साल में लगभग 70 उपग्रहों के प्रक्षेपण की जरूरत है।
लॉन्च फ्रीक्वेंसी बढ़ाए जाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कुमार ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी एक नया वाहन/रॉकेट एसेंबली बिल्डिंग के निर्माण में लगी है, जिससे रॉकेटों के एसेंबल करने के काम में तेजी आएगी।
उन्होंने कहा कि भारत निर्मित दक्षिण पूर्व एशियाई उपग्रह को दिसंबर 2016-मार्च 2017 के बीच प्रक्षेपित किया जाएगा।