नई दिल्ली, 12 जून (आईएएनएस)। गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के कम से कम 75 मामलों को फिर से खोलेगा। ये दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए थे।
मानदंड के अनुसार, एसआईटी इन मामलों के बारे में विज्ञापन जारी कर पीड़ितों एवं गवाहों को जांच में शामिल होने को कहेगी।
केंद्र सरकार का यह फैसला सिख समुदाय के, खासकर 1984 के सिख दंगों के पीड़ितों के, प्रतिवेदनों पर और अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले आया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गत छह जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एसआईटी को ढकोसला करार दिया था।
केजरीवाल ने लिखा था, “एसआईटी एक भी मामले को खोलने में नाकाम रही है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि या तो आप अपने एसआईटी को कुछ करने दें या कृपा करके इस एसआईटी को खत्म करके दिल्ली सरकार को उचित जांच और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए एसआईटी गठित करने दें।”
इंदिरा गांधी की सिख अंगरक्षकों द्वारा 31 अक्टूबर 1984 को हत्या किए जाने के बाद दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में हुए दंगों में 3 हजार 325 लोग मारे गए थे।
अकेले दिल्ली में 2733 लोगों की हत्या हुई थी।
दिवंगत एच. के. एल. भगत, सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर सहित कांग्रेस के कई नेता इन दंगों में शामिल रहने और अपराध में संलिप्तता के आरोपी बनाए गए थे।
मई में केंद्र सरकार ने सिख विरोधी दंगों से प्रभावित ऐसे 1020 परिवारों का मुआवजा बढ़ाने की स्वीकृति दे दी थी जो देश के अलग-अलग राज्यों से विस्थापित होकर पंजाब चले गए थे।
नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 दिसंबर में सिखों की विभिन्न शिकायतों को देखने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश जी. पी. माथुर कमेटी का गठन किया था। इसकी अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने पीड़ित परिवारों के सदस्यों का कौशल विकास मंत्रालय और पंजाब सरकार के जरिए कौशल विकास करने या पहले से हुनरमंद हैं तो उसे और बढ़ाने का आदेश दिया था।