रांची, 12 जून (आईएएनएस)। प्रतिकूल परिस्थितियां झारखंड की आरती कुमारी को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने से रोक नहीं सकीं। गरीबी से लेकर विस्थापन तक को मात देते हुए झारखंड की इस लड़की ने एक अच्छी सफलता के लिए अपना अनवरत प्रयास जारी रखा। अब उसने सफलता का स्वाद चख लिया है।
रांची, 12 जून (आईएएनएस)। प्रतिकूल परिस्थितियां झारखंड की आरती कुमारी को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने से रोक नहीं सकीं। गरीबी से लेकर विस्थापन तक को मात देते हुए झारखंड की इस लड़की ने एक अच्छी सफलता के लिए अपना अनवरत प्रयास जारी रखा। अब उसने सफलता का स्वाद चख लिया है।
आरती इंटर परीक्षा में कला विषय की मेरिट सूची में दूसरे स्थान पर है। यह सूची झारखंड शैक्षणिक परिषद (जेएसी) द्वारा प्रकाशित की गई है।
आरती जब 12वीं कक्षा में पढ़ रही थी तो 2015 में उसके पिता का देहांत हो गया। घर की सारी जिम्मेदारी उसकी मां के कंधे पर आ गई। दुखी और परेशान आरती उस साल जेएसी की परीक्षा में शामिल नहीं हो सकी।
लेकिन, उसने खुद को संभाला और परीक्षा देने का मन बनाया। इस साल वह परीक्षा में शमिल हुई और जेएसी का परिणाम साबित करता है कि वह झारखंड की सबसे बेहतरीन छात्राओं में से एक है।
आरती की मां और भाई उसके लिए शक्ति का आधार स्तंभ रहे हैं। उसके भाई ने भी अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है।
पिता को खोने के अलावा आरती को विस्थापन का दंश भी झेलना पड़ा, क्योंकि नागा बाबा खटाल मोहल्ले में मकान मालिक ने मकान खाली करने के लिए मजबूर किया। रांची के अन्य भाग में उसके परिवार को शरण लेनी पड़ी।
यह कठिन समय था, लेकिन मां ने आरती का लगातार समर्थन किया। मां ने शैक्षणिक गतिविधियां छोड़ने की सलाह कभी नहीं दी।
इस तरह आरती की सफलता के डगर काफी कठिन रहे हैं। अब वह एक दिन भारतीय प्रशासनिक सेवा की एक अधिकारी बनने की उम्मीद करती है।
इसी तरह की कहानी गुमला जिले की गायत्री सिंह की भी है। उसके माता पिता उत्तर प्रदेश के एक ईंट भट्टे पर काम करते हैं। गायत्री अपने माता-पिता के साथ पड़ोसी राज्य नहीं गई। वह अपने बहन और भाई के साथ ही रही। उसका भाई एक स्थानीय भंडार में काम करता है।
आर्थिक तंगी के बावजूद गायत्री ने ठान ली थी कि वह पढ़ाई नहीं छोड़ेगी। उसके भाई ने भी कठिन परिश्रम किया ताकि गायत्री पढ़ाई छोड़ने को मजबूर नहीं हो।
परिणाम भी शानदार है। गायत्री जेएसी की मेरिट सूची में तीसरे स्थान पर है।
इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि गायत्री के पड़ोसी खुश हैं। पड़ोसी लड़की ने उन्हें गौरवान्वित किया है। गायत्री ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर कोई सपना, दृढ़ता और कठिन परिश्रम पर आधारित हो तो उसके मार्ग कोई भी चीज बाधा नहीं बन सकती है।
धैर्य और दृढ़ता की एक और ज्वलंत उदाहरण लोहरदगा जिले की रीता नूपुर कुजूर है जिसने शादी होने और एक बेटे की मां बनने के बावजूद अपने सपने का पीछा किया। जेएसी की मेरिट सूची में वह दसवें स्थान पर है।
मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद रीता की शादी हो गई थी। वह एक मां बन गई थी। वैवाहिक जीवन पर उसका काफी समय खर्च होता था, लेकिन पढ़ाई जारी रखने की तमन्ना उसके दिल की गहराई में बनी रही।
धन्यवाद के पात्र उसके किसान पति हैं जिन्होंने रीता के एक दिन भारतीय पुलिस सेवा के एक अधिकारी बनने का सपना पूरा होने के लिए पढ़ाई का महत्व को समझा। पति ने उसे खूब प्रोत्साहित किया।
इसलिए रीता ने छह साल बाद पठन-पाठन सामग्री वापस पाया और एक महिला कॉलेज में प्रवेश लिया। इसके बाद रीता ने मुड़ कर नहीं देखा है। अब वह अग्रेजी विषय से स्नातक बनना चाहती हैं और इसके बाद वह आईपीएस अधिकारी बनने के अपने सपने को पूरा करने की कोशिश करेगी।