ऋषिकेश। कांवड़ यात्रा के पहले सोमवार को भले ही यात्रियों की तादात अधिक न रही हो मगर अब यात्रियों की तादात में इजाफा हो रहा है। मंगलवार की रात्रि दस बजे तक नीलकंठ मंदिर में जलाभिषेक के लिए 12 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके थे।
आपदा के बाद सूने पड़े तीर्थक्षेत्र को कांवड़ यात्रा से काफी उम्मीद है। लोगों ने भी दिल से कांवड़ यात्रा की तैयारियां की थी। लोगों की उम्मीद है कि शायद कांवड़ के बहाने ही व्यवसाय में कुछ तो तेजी आएगी। सावन के पहले सोमवार को पंचक काल होने के कारण यात्रियों की तादात कुछ कम रही मगर मंगलवार को क्षेत्र में कांवड़ियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। रात्रि दस बजे तक नीलकंठ में जलाभिषेक करने वाले कांवड़ श्रद्धालुओं की तादात 12 हजार की संख्या को पार कर गई थी जो सोमवार को मुकाबले अधिक है। पंचक काल समाप्त होने के बाद आने वाले सोमवार को क्षेत्र में कांवड़ यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है।
वहीं कांवड़ यात्रियों की भारी भीड़ से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन ने भी कमर कस ली है। मुनिकीरेती व लक्ष्मणझूला थाना क्षेत्र के अंतर्गत पुलिस ने संवेदनशील स्थान चिह्नित किए हैं। बीते वर्ष के अनुभव व वीडियो रिकार्डिग देखकर भी तैयारियों को पूरा किया जा रहा है।
कांवड़ में स्वास्थ्य विभाग की 13 मोबाइल टीमें होंगी तैनात-
कांवड़ यात्रा को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी सक्रिय हो गया है। तय हुआ है कि समूची कांवड यात्रा के दौरान स्वास्थ्य विभाग की 13 मोबाइल टीमों को कांवड़ यात्र रूट पर तैनात किया जाएगा। हर टीम में एक डॉक्टर, फार्मेसिस्ट व वार्ड ब्वॉय शामिल होगा। जहां कहीं किसी व्यक्ति को उपचार की आवश्यकता होगी, तत्काल टीम मौके पर पहुंच जाएगी। केदारनाथ समेत अन्य स्थानों में आई दैवीय आपदा के बाद स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों की पोल भी खुलकर सामने आ गई थी। स्थिति यह रही कि डॉक्टरों आदि के अभाव में प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे को पूरी तरह केंद्र पर निर्भर रहना पड़ा। अब चूंकि कांवड़ यात्रा शुरू होने जा रही है तो स्वास्थ्य महकमे ने पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए इस यात्रा की तैयारियों को लेकर खाका तैयार कर लिया है। स्वास्थ्य महानिदेशालय में तैनात संयुक्त निदेशक प्रशासन डॉ.कैलाश जोशी ने बताया कि कांवड़ यात्र के लिए विभाग ने 13 मोबाइल टीमों का गठन किया है। इन टीमों में प्रदेश भर से 52 चिकित्सक, 52 फार्मेसिस्ट व 52 वार्ड ब्वॉय को तैनात किया गया है। उन्होंने दैवीय आपदा प्रभावित चारों जिलों को छोड़कर बाकी सभी जिलों के चिकित्सकों व कर्मचारियों की ड्यूटी कांवड़ में लगाई गई है।