सिखों के छठे गुरु एवं अकाल तख्त के संस्थापक श्री हरिगोबिंद साहिब ने मीरी और पीरी का जिक्र किया है यानि जीवन में राजनैतिक और आध्यात्मिक शक्तियों का संयोजन आवश्यक है।इसके होने से व्यक्ति का स्वयं का विकास एवं सामाजिक विकास को उच्चता के शिखर पर ले जाता है।
भारत अपनी आध्यात्मिक उर्जा,संदेशों के लिए पूरे विश्व का नेतृत्व करता रहा है।इस धरती से आध्यात्मिक ,नैतिक ,राजनैतिक विचारों से परिपूर्ण समाज के नेतृत्व कर्ताओं का विशाल कुनबा विश्व को धरोहर रूप में प्राप्त हुआ है।हम यदि आज से 75 वर्ष पहले भी नजर डालें तो न तो आज की तरह रोशनी थी न ही सड़कें थीं ना आवागमन के आज की तरह साधन थे।संचार व्यवस्था भी नहीं उन्नत थी लेकिन वैचारिक,राजनैतिक,गणितीय,खगोलिय,चिकित्सकीय आदि विभिन्न सामाजिक पहलुओं एवं आध्यात्मिक धन से परिपूर्ण हो विश्व का मार्गदर्शन हमारा देश करता था।आज बिजली है ,सड़कें हैं सारे साधन उपलब्ध हैं लेकिन वह आध्यात्मिक धनाढ्यता कहाँ विलुप्त हो गयी जो हमारी बाकि सभी उर्जाओं को नियंत्रित करती थी।
आज हमारे समाज और देश की जिम्मेदारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत राजनैतिक नेताओं के पास है ,रोज यह खबर आती है की उस नेता ने वह चारित्रिक अपराध कर दिया फलाने नेता ने देश का वह अहित किया,समाज को बाँट कर लड़वाने का वीभत्स कार्य किया,आखिर क्यों ऐसी स्थिति आ गयी,इसी मकड़जाल को सुलझाने हेतु हमने संकल्प किया और सर्वप्रथम व्यक्ति जो हमें लगे की इनसे कुछ समझने और सुलझने में मदद मिलेगी उनसे हमने गुरु पूर्णिमा उत्सव के इस परम-पावन अवसर पर बात की भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर जी से —- पेश है उनसे लिया अनौपचारिक साक्षात्कार———
प्रश्न – राजनैतिक और आध्यात्मिक शक्तियाँ जीवन में संग्रहित करने के उपदेश भारतीय संतों ने दिये हैं,आज के समयकाल में राजनैतिक शक्ति तो एकत्रित की जा रही है लेकिन उसके साथ आध्यात्मिक शक्ति का संयोजन नजर नहीं आ रहा आपका क्या मत है?
तोमर जी – राजनैतिक शक्ति को आध्यात्मिक शक्ति नियंत्रित करती है,राजनैतिक शक्ति और आध्यात्मिक शक्ति का अपना–अपना स्थान है,आवश्यकता अनुसार इनका संग्रहण किया जाता है,राजनीति में धर्म/आध्यात्म सहयोगी की भूमिका निभाता है।
प्रश्न – कतिपय तत्व धर्म/आध्यात्म को राजनीति से अलग करने की वकालत कर रहे हैं ,राजनीति में आपका एक स्थान है आपका क्या कहना है?
तोमर जी-राजनीति से धर्म/आध्यात्म को अलग करना उचित नहीं है,व्यक्ति और धर्म/आध्यात्म का गहरा रिश्ता है,राजनीतिक शक्ति को आध्यात्मिक शक्ति नियंत्रित करके रखती है,यह अन्य बात है की व्यक्ति किस धर्म या विचार को आत्मसात करता है यह उसका अपना निर्णय है परन्तु आध्यात्मिक गुरु की छाया राजनैतिक ही नहीं सामान्य जीवन में भी आवश्यक है।
प्रश्न – क्या आपके आध्यात्मिक गुरु हैं ?
तोमर जी – जी हाँ, हैं।
प्रश्न -आप ने गुरु के सानिध्य को प्राप्त किया है ,आपका क्या कहना है गुरु के सम्बन्ध में।
तोमर जी – गुरु की महिमा शब्दों में कहना कठिन है,गुरु की महिमा को ईश्वर ने भी गाया है,गुरु ही प्रारब्ध को बदल सकते हैं।
प्रश्न – एक राजनैतिक प्रश्न, भाजपा का जानदार उत्थान 90 के दशक में हुआ था जब राम मंदिर आन्दोलन हुआ था,हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण पुनः नहीं हो पाया क्यों ?
तोमर जी – राम मंदिर का विषय चुनाव का माध्यम नहीं रहा,आस्था से जुडा है,आन्दोलन के समय परिस्थितियां थीं इस लिए फायदा मिला था,भाजपा आज भी आस्था से जुडी है,भाजपा इसे राजनीतिक दृष्टि से जोड़ कर नहीं देखती।साक्षात्कार— अनिल सिंह