लखनऊ । बसपा प्रमुख मायावती ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जाति आधारित रैलियों व सम्मेलनों पर रोक लगाने के फैसले की काट ढूंढ ली है। उनका कहना है कि समतामूलक समाज बनाने के लिए ही उनकी पार्टी इस तरह की रैलियां व सम्मलेन करती रही है और आगे भी करती रहेगी। यद्यपि कोर्ट के नजरिये को देखते हुए अब सर्वसमाज भाईचारे के नाम पर रैलियां व सम्मेलन किया जाएगा। उन्होंने अदालत से विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों पर रोक लगाने की भी मांग की।
पार्टी मुख्यालय में रविवार को आयोजित प्रेस वार्ता में मायावती ने केंद्र व उत्तर सरकार पर भी निशाना साधा। हाई कोर्ट द्वारा जातीय रैलियों व सम्मेलनों पर रोक लगाए जाने के संबंध में बसपा प्रमुख ने कहा कि पार्टी जाति आधारित गैर बराबरी वाली व्यवस्था को बदलने के लिए ही इस तरह के सम्मेलन करती रही है। उनके इस तरह के सम्मलेन समाज को बांटने के लिए नहीं, बल्कि भाईचारा पैदा कर उन्हें जोड़ने का काम करते हैं। मायावती ने कहा कि यहां धर्म के आधार पर अनेकों संगठन हैं। विहिप, आरएसएस व बजरंग दल पर गंदी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कोर्ट से इन पर पाबंदी लगाने की मांग की। उन्होंने हिरासत में लिए गए शख्स के चुनाव लड़ने पर रोक लगाए जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जताते हुए कहा कि इससे फायदा कम, राजनीतिक दुरुपयोग ज्यादा होगा। बसपा प्रमुख ने भाजपा व कांग्रेस नेताओं द्वारा हाल ही में राम जन्म भूमि विवादित स्थल वाले फैजाबाद जिले में जाने का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदू-मुसलमानों को रिझाने के लिए जिस तरह से पिछले कुछ समय से यहां घिनौनी राजनीति की जा रही है, वह निंदनीय है। वहीं, हमीरपुर से बसपा सांसद विजय बहादुर सिंह द्वारा नरेंद्र मोदी के समर्थन में बयान देने पर मायावती ने कहा कि वह मीडिया के माध्यम से उन्हें आखिरी चेतावनी देती हैं कि वे पार्टी के अनुशासन में रहें।
संघ का एहसान न भूलें माया: भाजपा
बसपा प्रमुख मायावती द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व बजरंग दल जैसे राष्ट्रवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के बयान पर भड़के भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि मायावती को संघ परिवार का एहसान मरते दम तक नहीं भूलना चाहिए। उन्हें मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाने में संघ का अहम योगदान है। पत्रकारों से बातचीत में मायावती को चेतावनी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अगर उनमें दम है तो वह केंद्र सरकार से आरएसएस, बजरंग दल व विहिप पर प्रतिबंध लगवा कर दिखाए वरना समर्थन वापस लें। केवल मुस्लिम वोटों के लिए फर्जी बयानबाजी न कर बसपा देश व समाज के हितों के बारे में भी सोचे।