नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। वैश्विक सुस्ती के बीच भारत उच्च आर्थिक विकास दर, चालू खाता घाटे में कमी, वित्तीय घाटा कम करने और आर्थिक सुधार पथ पर निरंतर बढ़ने के कारण वैश्विक निवेशकों के लिए अवसर और आशा का केंद्र बनकर उभरा है। यह बात वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यहां विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशकों के दल के साथ बैठक के दौरान कही।
बैठक के दौरान गुरुवार को भारत में चल रही विश्व बैंक की परियोजनाओं और विश्व बैंक की वित्तीय सहायता से जुड़े विभिन्न नीतिगत फैसलों पर भी विचार-विमर्श किया गया।
जेटली ने कहा कि वर्ष 2015-16 में विश्व निर्यात में दबाव और लगातार दो वर्ष कम वर्षा होने के बावजूद देश की विकास दर 7.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
जेटली ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता में गैर परम्परागत ऊर्जा उत्पादन, राष्ट्र स्तरीय स्वच्छता कार्यक्रम, ग्रामीण विद्युतीकरण, बड़ी और छोटी सिंचाई परियोजनाएं और सभी ग्रामीणों को आवास सम्मिलित हैं। उन्होंने पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में गिरावट के चलते भारत को मिलने वाले लाभ का भी जिक्र किया।
विश्व बैंक समूह की भूमिका पर उन्होंने बैंक का बड़ा पूंजी आधार, अधिक गतिविधियों और अधिक परियोजनाओं की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक की भूमिका सामाजिक क्षेत्रों में बढ़ायी जा सकती है, जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य, कृषि विकास, लघु उद्योग और हथकरघा शामिल हैं।
विश्व बैंक के 9 कार्यकारी निदेशकों का एक दल दक्षिण एशिया क्षेत्र के आधिकारिक दौरे के बीच भारत के छह दिवसीय यात्रा पर है। कार्यकारी निदेशकों का दल बांग्लादेश और श्रीलंका का दौरा भी करेगा। भारत में अपने दौरे के क्रम में कार्यकारी निदेशक केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और विश्व बैंक की आगरा, भुवनेश्वर और जयपुर में चल रही विभिन्न परियोजनाओं के क्रियान्वयन को देखेंगे।