चेन्नई, 19 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता के नेतृत्व में उनकी पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने एक्जिट पोल को गलत साबित करते हुए गुरुवार को बहुमत हासिल करने में सफलता पाई।
विधानसभा की 232 में से 134 सीटों पर एआईएडीएमके की जीत के बाद भावविभोर जयललिता ने कहा, “मैं लोगों द्वारा दी गई इस जीत से अभिभूत हूं। मैं और मेरी पार्टी तमिलनाडु के लोगों के ऋणी हैं।”
उन्होंने कहा, “1984 के बाद से ही कोई भी सत्ताधारी पार्टी राज्य में दोबारा सरकार बनाने में कामयाब नहीं रही है।”
जयललिता ने कहा कि उनकी भावनाओं का वर्णन करने के लिए शब्दकोष में कोई शब्द नहीं है। उन्होंने इस जीत को सचमुच ‘ऐतिहासिक’ बताया।
निर्वाचन आयोग ने राज्य में दो निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान को स्थगित किया हुआ है।
डीएमके-कांग्रेस गठजोड़ 97 सीटों पर सिमट कर रह गया। कांग्रेस को केवल 8 सीटों पर जीत हासिल हुई है। वहीं, एक सीट डीएमके की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को मिली है। डीएमके ने 89 सीट जीती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जीत के लिए जयललिता को बधाई दी है। हालांकि, उनकी पार्टी चुनावों के दौरान जयललिता पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रही थी।
डीएमके-कांग्रेस की हार के अलावा इस चुनाव में छह दलों के उस गठजोड़ का भी सूपड़ा साफ हो गया जो अभिनेता से नेता बने ए. विजयकांत के नेतृत्व में बना था और वह खुद मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे थे। लेकिन, हाल यह रहा कि विजयकांत खुद अपनी सीेट बचा नहीं पाए और उलुनदुरपेट्टई विधानसभा क्षेत्र में तीसरे नंबर पर रहे।
छह पार्टियों के गठबंधन में शामिल सीपीआई और एमडीएमके ने इस हार के लिए एआईएडीएमके और डीएमके के ‘धन बल’ को जिम्मेदार ठहराया।
एमडीएमके नेता वाइको ने कहा, “एआईएडीएमके और डीएमके ने मतदाताओं को बड़े पैमाने पर रिश्वत दिया। 2016 के विधानसभा चुनावों में केवल धन बल की जीत हुई है।”
कम्युनिस्ट नेता आर. मुथारासन ने कहा, “हमने तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश की थी, लेकिन धन बल के आगे हम जीत नहीं सके।”
भारतीय जनता पार्टी ने भी कुछ छोटे दलों के साथ मिलकर सभी सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन इनमें से किसी का खाता नहीं खुला।
एआईएडीएमके के हजारों समर्थक पार्टी की जीत के बाद जयललिता के घर के बाहर पूरे राज्य से आकर एकत्रित हुए और उन्होंने जमकर जश्न मनाया। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।
डीएमके का प्रदर्शन अच्छा रहा लेकिन यह अन्य विपक्षी दलों की कीमत पर हुआ। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि जयललिता को विभाजित विपक्ष का लाभ मिला।
एआईएडीएमके के लिए बुरी खबर चेन्नई से आई है, जहां दिसंबर में आई बाढ़ के बाद से ही लोग सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ दिख रहे थे और नतीजों ने भी उनकी नाराजगी को साबित किया। लेकिन, राजधानी की राधाकृष्णनगर सीट से जयललिता को जीत मिली। उन्होंने डीएमके उम्मीदवार को 39,545 मतों से हराया।
डीएमके अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री 91 वर्षीय करुणानिधि 13वीं बार थिरुवरुर सीट से चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने 1957 में पहली बार चुनाव लड़ा और उसके बाद उन्हें कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा।