भगवान श्री जगननाथ पूरी चार परम धामों में एक धाम माना गया है। ऐसी मान्यता है की सतयुग में बदरीनाथ, त्रेता में रामेश्वरम, द्वापर में द्वारकापुरी, और कलयुग में श्रीजगन्नाथ पूरी ही पावनकारी धाम है। पहले यहां नीलांचल नामक पर्वत था और नीलमाधव की श्रीमूर्ति भी यहां इसी पर्वत में स्थापित थी। जिसकी देवता अराधना करते थे। यह पर्वत भिमी में चला गया और देवता मूर्ति अपने साथ ही ले गए। पर उनकी स्मृति में इस क्षेत्र को नीलांचल कहा जाता है। श्री जगननाथ मंदिर पर लगा चक्र नीलच्छ्त्र कहलाता है। जहां तक यह चक्र दिखाई देता है वहा तक श्रीजगन्नाथ पूरी है।
इस क्षेत्र के अनेक नाम है। इसे श्रीक्षेत्र ,पुरुषोत्तमपूरी और शंखक्षेत्र भी कहते है क्योकि इस पुरे पुण्य स्थल की आकृति शंख के समान है। शाक्त इसे उड्डीयन पीठ कहते है। कहा जाता है यहां सती माता का नाभि गिरा था।
उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगननाथ जी ही माने जाते हैं। राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगननाथ जी हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा इंद्रघुम्न भगवान जगननाथ को शबर राजा से यहां लेकर आये थे तथा उन्होंने ही मूल मंदिर का निर्माण कराया था जो बाद में नष्ट हो गया।
इस मूल मंदिर का कब निर्माण हुआ और यह कब नष्ट हो गया इस बारे में पक्के तौर पर कुछ भी स्पष्ट नही है। ययाति केशरी ने भी एक मंदिर का निर्माण कराया था। मौजूदा 65 मीटर ऊंचे मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में चोलगंगदेव तथा अनंगभीमदेव ने कराया था। परंतु जगननाथ संप्रदाय वैदिक काल से लेकर अब तक मौजूद है। मौजूदा मंदिर में भगवान जगननाथ की पूजा उनके भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा के साथ होती है। इन मूर्तियों के चरण नहीं है। केवल भगवान जगन्नाथ और बलभद्र के हाथ है लेकिन उनमें कलाई तथा ऊंगलियां नहीं हैं। ये मूर्तियां नीम की लकड़ी की बनी हुई है तथा इन्हें प्रत्येक बारह वर्ष में बदल दिया जाता है। इन मूर्तियों के बारे में अनेक मान्यताएं तथा लोककथाएं प्रचलित है। यह मंदिर 20 फीट ऊंची दीवार के परकोटे के भीतर है जिसमें अनेक छोटे-छोटे मंदिर है। मुख्य मंदिर के अलावा एक परंपरागत् डयोढ़ी, पवित्र देवस्थान या गर्भगृह, प्रार्थना करने का हॉल और स्तंभों वाला एक नृत्य हॉल है। सदियों से पुरी को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे, नीलगिरि, नीलाद्री, नीलाचल, पुरूषोत्तम, शंखक्षेत्र, श्रीक्षेत्र, जगननाथ धाम और जगननाथ पुरी। …. by- प्रीति झा
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- » नई दिल्ली। एयर इंडिया के यात्री विमानों में दुर्व्यवहार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। एयर इंडिया की फ्लाइट में यात्री पर पेशाब करने की एक और घटना सामने आई है। बताया जा रहा है कि नशे में धुत एक शख्स ने बगल में बैठे पैसेंजर पर पेशाब कर दी। यह विमान दिल्ली से बैंकॉक जा रहा था। एअर इंडिया के स्टेटमेंट के मुताबिक यह घटना 9 अप्रैल की है। केबिन क्रू ने बताया कि दिल्ली-बैंकॉक फ्लाइट (AI2336) में एक पैसेंजर ने नियम के खिलाफ बर्ताव किया। मामले को डायरेक्टरेट ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के अफसरों को बता दिया गया है। मामले पर नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू ने कहा कि अगर कुछ भी गलत हुआ है तो हम जरूरी कार्रवाई करेंगे। एयरलाइन ने बताया कि क्रू ने सारे नियम-कायदे फॉलो किए थे। इसके बाद अधिकारियों को मामले की जानकारी दी। पेशाब करने वाले पैसेंजर को चेतावनी भी दी गई। यही नहीं, क्रू ने पीड़ित यात्री को बैंकॉक में अधिकारियों के सामने शिकायत उठाने में सहायता करने की पेशकश की, जिससे उसने इनकार कर दिया। एअर इंडिया के स्पोक्सपर्सन ने कहा कि घटना का आकलन करने और आरोपी यात्री के खिलाफ एक्शन तय करने के लिए एक स्वतंत्र स्टैंडिंग कमेटी गठित की जाएगी। मामले की जांच के लिए DGCA के स्टैंडिंग ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) को फॉलो किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले भी इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने एअर इंडिया फ्लाइट में 2022 में हुई पेशाब कांड मामले को लेकर केंद्र और DGCA को गाइडलाइंस बनाने का निर्देश पिछले साल 26 नवंबर को दिया था। कोर्ट ने कहा था कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रचनात्मक कदम उठाने की जरूरत है।
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