नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति के अपराधीकरण को रोकने की दिशा में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि जो सांसद और विधायक आपराधिक मामलों में दोषी पाए जाएंगे, उनकी सदस्यता उसी दिन से निलंबित हो जाएगी जिस दिन उन्हें दोषी करार दिया जाएगा। उन्हें इस मामले में अपील के लिए तीन महीने का वक्त नहीं मिलेगा।
ये प्रावधान उन मामलों के लिए है जहां सांसद या विधायक या किसी अन्य जनप्रतिनिधि को दो साल से ज्यादा की सजा सुनाई जाएगी। ये फैसला आज से ही लागू हो गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला केवल आज के बाद सामने आने वाले दोषी सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों में लागू होगा। जिन सांसदों और विधायकों ने अदालत में अपील दे रखी है, उन पर ये फैसला लागू नहीं होगा।
पहले कानून के मुताबिक अगर किसी भी सांसद या विधायक को सजा मिलती थी तो उसे सजा के फैसले को चुनौती देने के लिए तीन महीने का वक्त दिया जाता था और उसकी सदस्यता तब तक बरकरार रहती थी जब तक सुप्रीम कोर्ट उस पर अपना आखिरी फैसला न सुना दे या फिर उसका कार्यकाल पूरा न हो जाए। जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(4) के तहत उसे ये छूट मिलती थी लेकिन कोर्ट ने इस धारा को निरस्त कर दिया है।
अब तक के कानून के मुताबिक अगर किसी भी सांसद या विधायक को सजा मिलती है तो उसे उस फैसले को चुनौती देने के लिए तीन महीने का वक्त दिया जाता है। और उसकी सदस्यता तब तक बरकरार रहती है जब तक सुप्रीम कोर्ट उस पर अपना आखरी फैसला न सुना दे या फिर उनका कार्यकाल पूरा हो जाए। जबकी अगर कोई आम आदमी को दो साल से ज्यादा की सजा मिलती है तो उसे चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी जाती। वो अपनी सजा काटने के छह साल बाद ही चुनाव लड़ सकता है।
एक जनहित याचिका में मांग की गई है कि अगर कोई सांसद या विधायक को किसी अदालत से सजा मिलती है तो उसकी सदस्यता फौरन खत्म होनी चाहिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मांग से सहमति जताते हुए उसके फेवर में फैसला दिया है।