भाजपा के हलकों में ,उससे जुड़े लोगों और पत्रकारों में कई वर्षों से दबी जुबान में चर्चाएँ आम थीं की भाजपा और संघ से आये कार्यकर्ताओं में समलैंगिक सदस्य ज्यादा हैं,कई वरिष्ठ नेताओं ने तो अपने परिचारकों के रूप में लड़कों को जो देखने में कमसिन हों रखे हुए थे।
राघव जी का राजकुमार को राजकुमारी के नाम से संबोधित करना उनके मानसिक आनंद और विकृति को प्रस्तुत करता है।
भाजपा मुख्यालय के 14 नेपाल मूल के लड़के क्यों छोड़ गए नौकरी
विगत वर्षों में नेपाल मूल से आये लगभग 14 नेपाली किशोर नौकरी छोड़ गए और उन्होंने अन्य जगहों में नौकरी प्राप्त की।जब उन बच्चों से इस बाबत पूछा गया तो उनका आक्रोश फट पड़ा और उन्होंने जो बताया वह नितांत घिनौना था।उनका कहना था की भाईसाब लोगों की दिन भर परिचर्या करने के बाद वे लड़कों को साथ सोने के लिए मजबूर करते थे और इंकार करने पर नौकरी से निकाल देने की धमकी दी जाती थी,मजबूर हो इन लोगों ने नौकरी छोड़ना ही उचित समझा।
इस तरह की मानसिकता वालों से क्या समाज,प्रदेश,देश निर्माण होगा
हिंदुत्व का पर्याय आज संघ और भाजपा बने हुए हैं ,क्या यही संघ है ,यही भाजपा है ,क्या यही हिंदुत्व है नहीं में सनातन व्यवस्था में कुकृत्य का कोई स्थान नहीं है,विडम्बना है की आज अगुआ लोगों में ऐसे चेहरे दिख रहे हैं जो अपने को ठेकेदार घोषित कर बैठे हैं,55 वर्षों से राघव जी की अनैतिकता समाज झेल रहा था,वित्त मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद जिन्हें सौंपा गया वह किस मानसिकता का व्यक्ति है क्या मुख्यमंत्री नहीं जानते थे सभी को पता था यह सब की किस तरह के नेता इनके बीच हैं लेकिन अपने स्वार्थवश कोई नहीं बोलता है . क्या राजनैतिक दलों की जिम्मेदारी नहीं है की जांच-परख कर उम्मीदवार बनायें?
अब यह जरूरत महसूस की जा रही है की क्या पदों की जिम्मेदारी देते समय राजनैतिक दलों को व्यक्ति के बारे में पूरी पड़ताल कर के ही पद पर नियुक्ति करें यह राजनैतिक दलों ,समाज और राष्ट्र के लिए उपयुक्त होगा,क्या राजनैतिक दलों का दायित्व नहीं है की राष्ट्र निर्माण की बागडोर योग्य व्यक्ति के हाथों में सौपें।
बोरोप्लस का भय
राघव जी की पसंदीदा क्रीम बोरोप्लस थी,जो वे अप्राकृतिक क्रिया में इस्तेमाल करते थे यह खुलासा फरियादी ने रिपोर्ट में किया ,आज भाजपा के नेताओं में बोरोप्लस को लेकर भय व्याप्त हो गया है,भाजपा और संघ इस बोरोप्लस संस्कृति और काण्ड से भयभीत हैं ये नेता इस समय बोरोप्लस का नाम सुनते ही बिदक कर भाग खड़े होते हैं,अच्छा है ये इस नाम से जो एंटीसेप्टिक है सतर्क रहें ताकि फिर ऐसा कांड न हो।
जहाँ अधिकार दिया वहां शोषण शुरू हुआ
अधिकार और शोषण एक दूसरे के पर्याय हैं ,चाल,चरित्र और चेहरे को इसे ध्यान में रखना होगा।