नई दिल्ली।। गुजरात हाई कोर्ट के निर्देश पर इशरत जहां एनकाउंटर केस में आज दाखिल होने वाली चार्जशीट में सीबीआई इशरत को लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी नहीं करार देगी। सीबीआई अदालत को सिर्फ इतना बताएगी कि इशरत के साथ मारे गए दो पाकिस्तानी तीन हफ्ते से ज्यादा समय तक इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की हिरासत में थे और फिर गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया। इसके बाद गुजरात पुलिस ने चारों को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया।
सीबीआई चार्जशीट में यह नहीं बताएगी कि दोनों पाकिस्तानी भारत में क्या करने आए थे और उन्हें आईबी ने किस आरोप में पकड़ा था। जांच एजेंसी इस बात का उल्लेख भी चार्जशीट में नहीं करेगी कि इशरत, प्रणेश पिल्लई उर्फ जावेद शेख और दो पाकिस्तानियों को कैसे जानती थी। इस बारे में सीबीआई के डायरेक्टर रंजीत सिन्हा ने बताया, ‘हम इस बात की जांच नहीं कर रहे हैं कि मारे गए चारों लोग आतंकवादी थे या नहीं। हमें हाई कोर्ट से जांच का दायरा सिर्फ इस बात तक सीमित रखने के लिए कहा गया है कि मुठभेड़ फर्जी थी या नहीं।’
गौरतलब है कि सीबीआई की शुरुआती चार्जशीट में इशरत और उसके साथियों को आतंकी बताया गया था, लेकिन अब इसे हटाया जा रहा है। इससे पहले 6 अगस्त 2009 में गुजरात हाई कोर्ट के सामने अपने पहले हलफनामे में गृह मंत्रालय ने भी इशरत और उसके साथियों को लश्कर का सक्रिय आतंकी बताते हुए मुठभेड़ की सीबीआई जांच का विरोध किया था।
बाद में तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम के दबाव में दो महीने के भीतर ही मंत्रालय ने हलफनामा बदल दिया गया था। गृह मंत्रालय ने 30 सितंबर 2009 में गुजरात हाई कोर्ट को सौंपे अपने दूसरे हलफनामे में इशरत और उसके साथियों के आतंकी होने के पुख्ता सुबूत नहीं होने का दावा किया था। इसी के बाद अदालत ने इसकी सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
सीबीआई के सूत्रों के अनुसार, पहले दो पाकिस्तानियों जीशान जोहर और अमजद अली को अहमदाबाद में तैनात आईबी के तत्कालीन जॉइंट डायरेक्टर राजेंद्र कुमार ने हिरासत में लिया। इसके बाद इशरत और जावेद शेख को पकड़ा गया। हिरासत में रखने के बाद राजेंद्र कुमार और आईबी के कुछ जूनियर ऑफिसरों ने साजिश के तहत चारों को गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया।
हालांकि, सीबीआई मानती है कि अमजद अली, जावेद शेख और जीशान जोहर के लिंक आतंकी संगठन से थे। इन लोगों मुंब्रा की इशरत का इस्तेमाल कवच के तौर पर कर रहे थे। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया, ‘इंटेलिजेंस ब्यूरो को इन तीनों की टेलिफोन पर होने वाली बातचीत के इंटरसेप्शन से पता चला कि वे अहमदाबाद में हमले की साजिश रच रहे थे। हालांकि, नरेंद्र मोदी इनके निशाने पर नहीं थे।’
सीबीआई के सूत्रों के कहना है कि इशरत और जावेद एक बार पहले भी गुजरात जा चुके थे। जावेद शेख तस्करी और जाली नोटों के धंधे में भी संलिप्त था। इशरत, जावेद के साथ उत्तर प्रदेश भी गई थी।
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, आज शुरुआती चार्जशीट दाखिल करने के बाद जांच एजेंसी 26 जुलाई को पूरक चार्जशीट दाखिल करेगी और उसमें आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार का नाम भी होगा। इस चार्जशीट में गृह मंत्रालय के दबाव की वजह से सीबीआई उनका नाम शामिल नहीं कर रही है, लेकिन 31 जुलाई को राजेंद्र कुमार रिटायर हो जाएंगे। उसके बाद उन्हें गिरफ्तार करना सीबीआई के लिए आसान होगा।
हालांकि, इस बात की पूरी संभावना है कि राजेंद्र कुमार सीबीआई को कोर्ट में चुनौती देंगे। वह गृह मंत्रालय के तर्क और कोर्ट के पहले के फैसले का हवाला देते हुए कहेंगे कि उनके खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए गृह मंत्रालय की मंजूरी जरूरी है। पथरीबल फर्जी एनकाउंटर केस में कोर्ट ने फैसला दिया था कि रक्षा मंत्रालय की अनुमति के बिना सैन्य अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन नहीं चलाया जा सकता है।