नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के मुद्दे पर दूसरे दिन मंगलवार को भी राज्यसभा की कार्यवाही बाधित रही। लोकसभा में जहां सरकार को बहुमत है, आम दिनों की तरह कामकाज हुआ।
लोकसभा की कार्यवाही सात बजे शाम तक चली। इस दौरान रेलवे का वर्ष 2016-17 के लिए अनुदान की मांग पर विपक्षी सदस्यों सहित सभी ने बहस में भाग लिया। प्रश्नकाल में भी सभी शामिल हुए। रेलमंत्री सुरेश प्रभु के जवाब के बाद रेलवे के अनुदान मांग को पारित कर दिया गया।
लेकिन संसद के उच्च सदन, जहां विपक्षी सदस्यों की संख्या अधिक है, नजारा कुछ और था।
राज्यसभा की कार्यवाही उत्तराखंड को लेकर बार-बार बाधित हुई। अंत में हंगामा जारी रहा तो सदन की कार्यवाही करीब तीन बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। उत्तराखंड मुद्दे पर बहस कराने की कांग्रेस की मांग का अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी समर्थन किया।
वाम दलों, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सहित अन्य दलों के समर्थन से कांग्रेस ने उत्तराखंड मुद्दे पर तुरंत चर्चा कराने की मांग की।
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने वित्तमंत्री अरुण जेटली पर आरोप लगाया कि वह उत्तराखंड के विधानसभा अध्यक्ष पर अल्पमत की सरकार को बहुमत की सरकार में बदलने का आरोप लगाने की गलत परंपरा शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि मामला न्यायालय में लंबित होने के बावजूद इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।
उन्होंने कहा, “अगर सदन भी राजी है तो चर्चा हो सकती है।”
सदन में सपा नेता नरेश अग्रवाल और बसपा नेता मायावती ने कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की बातों का समर्थन किया।
वहीं, संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने जानना चाहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर बहस कराना चाहती है या केवल सदन की कार्यवाही बाधित करना चाहती है।
राज्यसभा के नेता अरुण जेटली ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश आने से पहले चर्चा नहीं कराई जा सकती। जेटली ने राष्ट्रपति शासन लगाने का बचाव भी किया।
सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई 27 अप्रैल को होगी। नैनीताल उच्च न्यायालय हरीश रावत को 29 अप्रैल को विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दे चुका है।
कांग्रेस सदस्य नारे लगाते हुए सभापति की आसन के करीब इकट्ठे हो गए। इस पर सभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
जब दोपहर को शून्यकाल के लिए पुन: सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो नजारा वही था। नाराज होकर सभापति एम. हामिद अंसारी ने पहले 12.35 बजे तक और फिर दोपहर बाद 2 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। इसके बाद भी स्थिति नहीं सुधरी तो तीन बजे दिन भर के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
उधर, लोकसभा में रेलवे के अनुदान मांग पर बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर चाल चलने का आरोप लगाकर उसकी आलोचना की।
अन्य नेताओं में समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव, भाजपा के योगी आदित्यनाथ, तृणमूल कांग्रेस के तापस मंडल और शिवसेना के श्रीरंगा अप्पे बार्ने ने भी अपने विचार रखे।
लोकसभा में खासकर महाराष्ट्र के लातूर जिले में सूखे और जल संकट का मुद्दा मंगलवार को जमकर गूंजा।
केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र के मराठवाड़ा जिले में हालात ‘भयंकर’ हैं। केंद्र व राज्य सरकार, दोनों ही हालात से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं।
सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने आठ जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है। उन्होंने कहा कि 2,306 गांवों की हालत बेहद गंभीर है।
कांग्रेस सांसद एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि तदर्थवाद सूखा और जल संकट का हल नहीं है।
बीजू जनता दल (बीजद) के सांसद कलिकेश सिंह देव ने कहा कि अधिकांश मामलों में विभिन्न राज्यों की मांग की तुलना में केंद्र सरकार की सहायता बेहद कम होती है।
राधामोहन ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद सभी राज्यों को सूखा राहत आवंटन में काफी वृद्धि हुई है।
सिंह द्वारा यह कहे जाने पर कि महाराष्ट्र में बड़े-बड़े बांधों का निर्माण केवल चीनी मिलों के फायदे के लिए हुआ है, सत्ता व विपक्ष में तीखी नोकझोंक हुई।
कृषि मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान कहा, “मैं भी मांग करता हूं कि इस पर चर्चा होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “बड़े-बड़े बांधों का निर्माण केवल चीनी फैक्ट्रियों के फायदे के लिए हुआ है। किसानों की बिल्कुल ही चिंता नहीं की गई है।”
उनकी इस टिप्पणी के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सदस्य सुप्रिया सुले व कांग्रेस के सदस्य भड़क गए।
सरकार ने यह भी कहा कि श्रीनगर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) में केंद्रीय बलों की तैनाती से कश्मीर युवक अलग नहीं पड़ेंगे।
रिजिजू ने कहा, “जम्मू-कश्मीर पुलिस भी परिसर से बाहर है। इसलिए मैं नहीं समझता कि वहां कोई विरक्ति पैदा होगी।”