नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र एवं पुत्री को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक बड़ी राहत दी। न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी संपत्ति तात्कालिक तौर पर कुर्क करने से जुड़ी सभी आगे की कार्यवाहियों पर रोक लगा दी। ईडी वीरभद्र सिंह के खिलाफ मनी लॉंड्रिंग मामले की जांच कर रहा है। उच्च न्यायालय में मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।
मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने हालांकि कहा कि सिंह की बेटी अपराजिता कुमारी और बेटे विक्रमादित्य सिंह की पहले कुर्क की जा चुकी संपत्ति अभी कुर्क ही रहेगी।
पीठ ने एक अंतरिम आदेश में कहा, “याचिकाकर्ताओं की संपत्ति तात्कालिक रूप से कुर्क करने की आगे की सभी कार्यवाहियों पर रोक लगाना हम उचित मानते हैं। हालांकि जो संपत्ति कुर्क की जा चुकी है वह वैसे ही रहेगी।”
उच्च न्यायालय के आदेश का अर्थ यह होगा कि ईडी, न्यायिक प्राधिकरण में दर्ज शिकायत के सिलसिले में 23 मार्च के अस्थाई कुर्की आदेश (पीएओ) पर आगे की कार्यवाही नहीं कर सकता।
अपराजिता और विक्रमादित्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने कहा कि ईडी ने उनके मुवक्किलों की चल संपत्ति मनी लॉड्रिंग मामले में नाम नहीं रहने के बावजूद कुर्क की है।
वकील ने अदालत को बताया कि ईडी ने अपराजिता की 15.85 लाख की और विक्रमादित्य की 62.8 लाख की चल संपत्ति कुर्क कर ली है।
बताया गया है कि अस्थाई कुर्की आदेश 180 दिनों के लिए लागू होता है। इस दौरान याचिकाकर्ता संपत्ति का इस्तेमाल तो कर सकता है लेकिन उसे बेच नहीं सकता।
ईडी की ओर से अदालत में कहा गया था कि सारी जब्त संपत्तियां प्रथमदृष्टया मनी लॉड्रिंग अपराध में संलिप्त पाई गई हैं।