नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में कोई योगदान नहीं कर रहे, लेकिन इस योजना का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं।
केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली मंत्री राम विलास पासवान ने मंगलवार को लोकसभा में यह बात कहीं।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान पासवान ने कहा, “मैं सदस्यों से यह कहना चाहूंगा कि कुछ राज्यों द्वारा उपभोक्ताओं को मुफ्त चावल और आटा उपलब्ध कराने के दावे झूठे हैं। यह केंद्र सरकार मुहैया करवा रही है। अगर चावल 30 रुपये किलो मिल रहा है तो केंद्र उस पर 28 रुपये की सब्सिडी दे रहा है।”
उन्होंने पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार का योगदान शून्य है, बिहार का योगदान शून्य है।”
पासवान ने कहा खाद्य सब्सिडी का 91 फीसदी केंद्र सरकार देती है। उन्होंने कहा अगर गेहूं 20 रुपये किलो मिल रहा है तो हम पूरे देश को यह दो रुपये पर उपलब्ध करा रहे हैं। पिछले दो सालों में हमारा काम क्रांतिकारी रहा है।
उन्होंने कहा कि कई राज्यों में राज्य सरकार की बजाए उपभोक्ता अनाज की कीमत चुका रहे हैं।
मंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने 2014 में कामकाज संभाला था। तब खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने पर महज 11 राज्य ही सहमत थे। लेकिन अब यह सभी राज्यों में लागू है।
उन्होंने कहा कि इस कानून से लाभार्थियों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से सब्सिडी दर पर अनाज मुहैया कराया जाता है।
मंत्री ने कहा, “केवल नागालैंड में यह लागू होना बाकी है जो जल्द ही हो जाएगा।”