नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। राज्यसभा में विपक्ष ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से तीन छात्रों के निष्कासन की कार्रवाई की निंदा की है।
माकपा सदस्य तपन कुमार सेन ने सदन में इस मुद्दे को उठाते हुए जेएनयू की इस दंडात्मक कार्रवाई को सरकारी संरक्षण में अति अहंकारपूर्ण और लोकतंत्र विरोधी कदम बताया।
सेन ने कहा, “उन्हें निष्कासित कर, उनके प्रवेश पर पांच साल की रोक लगा कर उनके शैक्षणिक करियर के खिलाफ अनुचित तरीके से प्रतिशोध लिया गया है। यह सब सरकार की योजना का हिस्सा है।”
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने सदन में इस मुद्दे पर समुचित बहस कराने की मांग की।
भाकपा नेता डी. राजा ने भी इस मुद्दे को उठाया।
राजा ने कहा, “जब इस तरह की चीजें जेएनयू में हो रही हैं तो यह सदन मूकदर्शक बना नहीं रह सकता है। यह बहुत ही द्वेषपूर्ण और बदले की कार्रवाई है।”
इस पर राज्यसभा के उपसभापति पी.जे. कुरियन ने कहा कि विश्वविद्यालय स्वायत्तशासी है।
उपसभापति के बयान का खंडन करते हुए सीताराम येचुरी ने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना संसद के कानून के तहत हुई है।
विश्वविद्यालय की दंडात्मक कार्रवाई की निंदा कर रहे वाम दलों का सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने भी समर्थन किया।
इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, “विश्वविद्यालय का माहौल दूषित हो रहा है। इसके लिए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय जिम्मेदार है।”
संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जेएनयू ने सोमवार को छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर जुर्माना लगाया था और तीन अन्य छात्रों को निष्कासित किया था।
विश्वविद्यालय ने कन्हैया कुमार पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है, जबकि अनिर्बान भट्टाचार्य और उमर खालिद एक सेमेस्टर के लिए निष्कासित किया है। भट्टाचार्य पर 25 जुलाई से विश्वविद्यालय में प्रवेश करने पर पांच साल तक रोक भी लगा दी गई है।
विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर के आदेश के अनुसार, भट्टाचार्य और उमर खालिद को एक सेमेस्टर के लिए, जबकि मुजीब गट्ट और अन्य छात्रों को दो सेमेस्टर के लिए निष्कासित किया गया है।
खालिद को 13 मई तक 20000 रुपये का जुर्मना भी अदा करना होगा।