उज्जैन, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ में व्याप्त अव्यवस्थाओं के खिलाफ साधु-संतों के तल्ख तेवर ने सरकार की मुसीबतें बढ़ा दी हैं।
एक ओर जहां अखाड़े हालात न सुधरने पर उज्जैन छोड़ने की चेतावनी दे चुके हैं, वहीं परी (महिला) अखाड़ा की प्रमुख त्रिकाल भवंता ने जिंदा समाधि लेने की घोषणा कर दी है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सिंहस्थ कुंभ में केवल 13 अखाड़े अधिकृत माने जाते हैं, जिन्हें प्रशासन की ओर से सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।
सिंहस्थ कुंभ के आयोजन से पहले इनकी पेशवाई निकलती है और शाही स्नान हेतु भी इन अखाड़ों के लिए समय और घाट तय होते हैं।
उज्जैन में 22 अप्रैल से शुरू हुए सिंहस्थ में इस बार परी अखाड़ा ने विशेष सुविधाओं की मांग की थी, मगर सरकार ने उनकी मांगें मानने से इनकार कर दिया।
परी अखाड़े की प्रमुख भवंता ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने अपने अखाड़े में सुविधाओं के साथ शाही स्नान के लिए भी समय की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे पूरा नहीं किया और इस कारण अब वह जिंदा समाधि लेंगी।
इस अखाड़े के करीब 10 फुट गहरा गड्ढा खोद दिया गया है, जिसमें बैठकर भवंता ने जिंदा समाधि लेने की घोषणा की है। उनका कहना है कि वह इस गड्ढे में बैठेंगी और उसके बाद इसे मिट्टी से ढक दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि भवंता ने इससे पहले आमरण अनशन भी किया था, तब प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया था, मगर वह पूरा नहीं किया गया। इसके विरोध में ही परी अखाड़ा प्रमुख मंगलवार को 10 फुट गहरे गड्ढे में जिंदा समाधि लेने जा रही हैं।
अव्यवस्थाओं के विरोध में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद पहले ही सुविधाएं न सुधरने पर दूसरा शाही स्नान न करने का एलान कर चुका था। इसके बाद सोमवार शाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उज्जैन पहुंचे और वह साधु-संतों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं।