भोपाल, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में अब हक के लिए आवाज उठाना और ताकतवर लोगों के खिलाफ मोर्चा लेना आसान नहीं रहा है, जो ऐसा करेगा उसे गंभीर नतीजे भुगतना पड़ सकते हैं। इस बात का प्रमाण है 70 वर्षीय सेवानिवृत्त अधिकारी और व्हिसलब्लोअर जे.के. जैन का जेल जाना और उनकी पत्नी शोभा जैन पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज होना।
भोपाल, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में अब हक के लिए आवाज उठाना और ताकतवर लोगों के खिलाफ मोर्चा लेना आसान नहीं रहा है, जो ऐसा करेगा उसे गंभीर नतीजे भुगतना पड़ सकते हैं। इस बात का प्रमाण है 70 वर्षीय सेवानिवृत्त अधिकारी और व्हिसलब्लोअर जे.के. जैन का जेल जाना और उनकी पत्नी शोभा जैन पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज होना।
जैन का कसूर सिर्फ इतना है कि वह राजधानी की रोहित गृह निर्माण सहकारी संस्था में भूखंड आवंटन में हुए फर्जीवाड़े के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे है।
राजधानी के बावड़िया कलां क्षेत्र में लगभग सौ एकड़ में फैली रोहित गृह निर्माण सहकारी संस्था का गठन 1983 में हुआ, तब कुछ लोगों ने मिलकर यह संस्था बनाई थी, शुरुआत में इस संस्था में 1500 सदस्य थे, जो बढ़कर दो हजार को पार कर गए हैं।
इस संस्था के आगे चलकर कई ऐसे लोग भी सदस्य बन गए, जिनकी सत्ता में गहरी पैठ है। मजे की बात तो यह है कि इनमें से कई लोग ऐसे हैं जिन पर गलत तरीके से भूखंड हथियाने के आरोप लगे हैं। वास्तविक हकदार अपना भूखंड पाने के लिए सहकारिता विभाग से लेकर न्यायालय तक के चक्कर लगाने को मजबूर हैं और ताकतवर लोग अवैध कब्जा कर उनके मालिक बन बैठे हैं।
राज्य के सहकारिता मंत्री गोपाल भार्गव ने भी दो मार्च, 2016 को विधानसभा में माना है कि इस सहकारी संस्था में 137 ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अवैध तरीके से भूखंडों पर कब्जा कर रखा है। साथ ही भरोसा दिलाया कि वे आगामी तीन माह में इस संस्था में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
इस संस्था के संचालक मंडल को भंग करके विभाग ने 11 जून, 2015 को ही विभाग की ओर से एक अधिकारी को बतौर प्रशासन नियुक्त कर दिया गया है।
राज्य सरकार के मंत्री ने जो बात विधानसभा में स्वीकारी है, यही लड़ाई संस्था के पूर्व निदेशक जे.के. जैन वर्ष 2003 से लड़ते आ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने सरकारी अफसरों, सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्री से लेकर उच्च न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाया।
जैन की पत्नी शोभा जैन जो स्वयं सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, ने आईएएनएस को बताया कि उच्च न्यायालय ने 30 जून, 2013 को जनहित याचिका पर एक आदेश पारित कर सहकारिता विभाग को निर्देश दिए। इस आदेश का पालन न होने पर उन्होंने (जे.के. जैन) अवमानना का आवेदन उच्च न्यायालय को दिया। इस पर एक मई, 2015 को उच्च न्यायालय ने सहकारिता विभाग के अधिकारियों को नोटिस भी जारी किया।
शोभा जैन का आरोप है कि एक तरफ उच्च न्यायालय द्वारा अवमानना का नोटिस जारी किए जाने और दूसरी ओर जे के जैन द्वारा अपनी लड़ाई जारी रखने से बौखलाए संस्था से जुड़े रहे राजनीतिक तौर पर ताकतवर लोगों ने साजिश रचकर ए.के. शुक्ला, जो अपने को संस्था का प्रबंधक बताता है, ने शाहपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी। यह रिपोर्ट 15 जनवरी, 2016 को दर्ज हुई।
शाहपुरा थाने के उपनिरीक्षक और जांच अधिकारी आर.के. मिश्रा ने आईएएनएस से कहा कि जैन के खिलाफ शुक्ला ने रिपोर्ट दर्ज कराई है, जिसमें जैन पर आरोप है कि उन्होंने कूट रचित दस्तावेजों से भूखंड अपने और पत्नी शोभा जैन के नाम हथियाया।
इतना ही नहीं, जैन ने डायरेक्टर रहते हुए कई भूखंडों में गड़बड़ी की। उन पर आरोप यह भी है कि वे एक से ज्यादा तरीके से हस्ताक्षर करते हैं, साथ ही निवास के पते दो हैं, लिहाजा उनके खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य विधानसभा में सहकारिता मंत्री भार्गव ने दो मार्च को रोहित गृह निर्माण सहकारी संस्था में गड़बड़ी की बात स्वीकारते हुए सख्त कार्रवाई और मामला विशेष जांच दल (एसआईटी) केा सौंपने की मंशा जाहिर की थी, और उसके दो दिन बाद यानी चार मार्च को जैन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
वहीं जैन की पत्नी शोभा जैन को भी धोखाधड़ी का आरोपी बनाया गया है, जो अग्रिम जमानत पर हैं।
यहां बताना लाजिमी है कि वर्ष 2012 में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सीधे तौर पर इस सोसायटी में अवैध कब्जों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमला बोलते हुए कहा था कि इन अवैध कब्जाधारियों में तो कई चौहान के रिश्तेदार हैं। चौहान ने आरोपों को नकारते हुए कहा था कि कानून अपना काम करेगा। तब से लगभग चार वर्ष गुजर गए मगर किसी पर कार्रवाई नहीं हुई।
पिछले डेढ़ माह से भोपाल की केंद्रीय जेल में बंद जैन अरसे से पुलिस अफसरों से लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग तक को आवेदन देकर अपनी हत्या की आशंका जताते आ रहे हैं। इन आवेदनों में कहा गया है कि उनके खिलाफ साजिश रचकर हिरासत में ही हत्या कराई जा सकती है। उनकी एक आशंका तो सच साबित हो रही है कि उन्हें जेल भेजा जा सकता है।
जैन के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेजे जाने पर कई सवाल उठ रहे है, क्योंकि जैन 1983 से 2000 तक संस्था के डायरेक्टर रहे, अगर इस अवधि में गड़बड़ी की है तो शिकायत 2016 यानी जैन के पद से हटने के 16 वर्ष बाद क्यों की गई, दूसरी ओर सरकार सहकारी संस्था के कागज उपलब्ध न होने की बात कह रही है, वहीं संस्था के पदाधिकारी कथित तौर पर जैन द्वारा कूटरचित दस्तावेज पुलिस को सौंप रहे हैं।
इतना ही नहीं सहकारिता मंत्री भार्गव द्वारा जांच कर सख्त कार्रवाई किए जाने के आश्वासन के दो दिन बाद ही जैन की गिरफ्तार क्यों हो जाती है, क्या 70 वर्ष का बुजुर्ग फरार हो सकता है। जैन की पत्नी की माने तो जैन को सहकारिता विभाग के दफ्तर से गिरफ्तार किया गया है।
जैन की पत्नी शोभा जैन मानती हैं कि वह और उनके पति वर्ष 1983 में संस्था के सदस्य बने थे, भूखंड के लिए तय राशि भी जमा की, जिस भूखंड का उन्हें आवंटन हुआ है, उस पर कब्जा दूसरों ने कर रखा है। जहां तक जैन पर कूटरचित दस्तावेज रखने का सवाल है, तो वह सब पूरी तरह झूठ है और संस्था के कुछ पदाधिकारियों ने मिलकर ही यह दस्तावेज तैयार कर जैन को फंसाया है, क्योंकि वे फर्जीवाड़े के खिलाफ लंबे अरसे से लड़ाई लड़ते आ रहे हैं।
सरकार द्वारा सहकारिता विभाग के अंकेक्षण अधिकारी (ऑडिट ऑफिसर) एन.एस. हाडा को रोहित गृह निर्माण सहकारी समिति का जून 2015 को प्रशासक बनाया गया था, मगर 10 माह गुजर जाने के बाद न तो उन्हें कोई दस्तावेज मिले हैं और न ही समिति के सदस्य सहयेाग कर रहे हैं। उनका कहना है कि विभाग ने उन्हें प्रशासक बनाया है, मगर वह नाम के ही प्रशासक हैं।
सहकारिता विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि रोहित समिति का जिन्न एक बार फि र बाहर आने से फर्जीवाड़े में शामिल लोग राजनीतिक पहुंच के बावजूद अपने को मुसीबत से घिरा पा रहे हैं। लिहाजा, उन्होंने साजिश रचकर जैन को जेल भिजवाया है, क्योंकि जैन ही एक मात्र ऐसा व्यक्ति हैं, जो कई लोगों को जेल का रास्ता दिखवा सकते हैं।