हरिद्वार। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की अध्यक्षता में हुई भारत साधु समाज की बैठक में केदारनाथ मंदिर के मुख्य रावल को हटाने और मंदिर समिति को भंग करने का प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक में परमार्थ आश्रम हरिद्वार के परमाध्यक्ष स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने प्रस्ताव रखा, जिसे संतों ने एक ध्वनि मत से पास कर दिया गया।
रविवार शाम कनखल के शंकराचार्य आश्रम में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की अध्यक्षता में भारत साधु समाज की बैठक में उक्त प्रस्ताव रखा गया। बैठक में कहा कि बदरी-केदारनाथ मंदिर समिति का गठन ब्रिटिशकाल में हुआ था, जिसका संविधान वर्तमान समय के अनुकूल नहीं है। लिहाजा इसे भंग कर पुनर्गठन कर इसके अध्यक्ष पद पर किसी धर्माचार्य को काबिज किया जाए और संत इसका संचालन करें। भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी हरिनारायणानंद ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि केदारनाथ मंदिर का मुख्य पुजारी आदिकाल से ही नंबूदरी ब्राह्मण रहे हैं। अत: इस परंपरा को कायम रखते हुए वर्तमान समय में अपनी कार्यशैली से चर्चाओं में आए लिंगायत संप्रदाय के रावल को हटाकर केदारनाथ मंदिर के संचालन को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सौंपा जाए। इस प्रस्ताव का सभी संतों ने समर्थन किया। आपदा के कारणों की चर्चा करते हुए संतों ने इसे देवताओं का प्रकोप बताया और धारी देवी मंदिर को भी यथा स्थान पर स्थापित करने की मांग की।
बैठक में महामंडलेश्वर स्वामी श्यामसुंदरदास शास्त्री, महंत रविंद्रपुरी, महंत रामानंद पुरी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, स्वामी प्रेमानंद, स्वामी सहज प्रकाश, महंत मोहनदास, महंत गंगादास, महंत ललतागिरी, महंत सच्चिदानंद आदि संत मौजूद रहे।
राज्यपाल ने की मुलाकात
राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से राज्य में आई आपदा के संदर्भ में विचार विमर्श किया। उन्होंने संतों को आश्वासन दिया कि मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सरकार पूरा सहयोग करेगी।