लखनऊ, 18 अप्रैल (आईएएनएस)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने गांवों की ओर रुख करने का निर्णय लिया है। संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों की मानें तो कार्यकर्ता गांवों का रुख करेंगे और ग्रामीणों से रू-ब-रू होंगे। इस दौरान वे क्षेत्रीय समस्याओं को जानने की कोशिश करेंगे। गांव स्तर पर स्थानीय समस्याओं की जानकारी जुटाकर एबीवीपी एक रिपोर्ट तैयार करेगी और फिर उसे राज्य सरकार और केंद्र को भेजेगी।
एबीवीपी 1 मई से 15 जून के अंत तक पूरे देश में अपने कार्यकर्ताओं को गांव स्तर पर भेजेगी। यहां हर जिले से जाने वाले कार्यकर्ता न सिर्फ गांव के छात्रों से बातचीत करेंगे, बल्कि सामाजिक व क्षेत्रीय समस्याओं की भी जानकारी हासिल करेंगे। गरीब परिवारों में रात्रि विश्राम कर वे उनकी कठिनाइयां भी जानने का प्रयास करेंगे।
एबीवीपी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कहा कि कार्यकर्ताओं की संवेदनाओं को परखने के लिए यह तरीका अपनाया गया है। साथ ही कार्यकर्ताओं की भूमिका भी प्रभावी होगी।
पदाधिकारियों के मुताबिक कार्यकर्ता मुख्य रूप से अपना ध्यान नशाखोरी, शिक्षा, जल, बाल मजदूरी, आत्महत्या, परिवहन, कुपोषण, खेल, सीमावती क्षेत्रों की समस्याएं, जाति व्यवस्था, बाल-विवाह, दहेज प्रथा, नारी सुरक्षा, कृषि, भ्रष्टाचार, कन्या भ्रूण हत्या, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन आदि पर केंद्रित करेंगे।
उप्र में एबीवीपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह ने आईएएनएस से बताया, “एबीवीपी अपने कार्यकर्ताओं को गांवों में भेजेगी। वहां की समस्याओं को जानने का प्रयास होगा। यह प्रयास होगा कि कार्यकर्ता सामाजिक जीवन का प्रत्यक्ष दर्शन करें। गरीबों, लाचारों और समाज के निचले तबके के लोगों की संवेदनाओं को समझें।”
धर्मपाल के अनुसार, पूर्वाचल के गोरखुपर इलाके में इंसेफ्लाइटिस का कहर, नेपाल के सीमावर्ती इलाके में बढ़ रही नशाखोरी और घुसपैठ जैसी क्षेत्रीय मुद्दों पर कार्यकर्ता ध्यान केंद्रित करेंगे। इस सर्वेक्षण के बाद एक रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी जाएगी।
उन्होंने बताया कि ‘समाजिक जीवन का प्रत्यक्ष अनुभव’ नाम से चलने वाले इस अभियान को पूरे देश में चलाया जाएगा। एक प्रदेश से औसत दो लाख कार्यकर्ताओं को गांवों में भेजा जाएगा। 10 कार्यकर्ताओं की टोली एक गांव में सात दिन बिताएगी।