आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री मॉरिश ओस्टफील्ड ने इस परिदृश्य पर निराशा जताते हुए कहा, “लंबी अवधि से विकास दर काफी कम है।”
उन्होंने कहा, “विकास दर के लगातार कम रहने से उत्पादन कम रहने और मांग तथा निवेश भी कम रहने की संभावना है।”
आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टीन लगार्ड ने पहले कहा है कि आर्थिक तेजी की वापसी की प्रक्रिया काफी धीमी है।
आईएमएफ के मुताबिक मांग कम रहने के कारण विकसित देशों में विकास दर कम दर्ज की जा रही है।
आईएमएफ ने कहा है कि इस साल वैश्विक विकास में मुख्य रूप से योगदान उभरते बाजारों और विकासशील देशों का रहेगा।
आईएमएफ ने कई ऐसे गैर आर्थिक कारण भी बताएं हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने अनिश्चितता बढ़ा सकते हैं, जिसमें भूराजनैतिक संघर्ष, राजनीतिक असहमतियां, आतंकवाद, शरणार्थी समस्या और वैश्विक महामारी शामिल हैं।
आईएमएफ के मुताबिक ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने से क्षेत्रीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था को काफी क्षति पहुंचेगी।
आईएमएफ ने इस स्थिति में चीन की अर्थव्यस्था को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि 2016 में चीन की विकास दर 6.5 फीसदी और 2017 में 6.2 फीसदी रहेगी। यह दर जनवरी के अनुमान से दो फीसदी अधिक है।
आईएमएफ ने कहा कि चीन की विकास दर का अनुमान बढ़ाया जाना चीन में नीतिगत राहत की घोषणा और सेवा क्षेत्र में तेजी को परिलक्षित करता है।
ओस्टफील्ड ने चीन को सुझाव भी दिया कि वह सरकारी कंपनियों का सुधार करे और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों से निपटे तथा नियामकीय ढांचे को मजबूत करे।