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बिहार : अगलगी की घटनाओं के कारण गांवों में चूल्हे बंद

पटना, 16 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रचंड गर्मी में विनाशकारी आग के डर से बिहार के कुछ गांवों में लोगों ने दिन में खाना बनाने के लिए स्टोव जलाने पर रोक लगा दी है। प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों को जूते से पीटने के अलावा जुर्माना भी किया जाएगा। यह जानकारी अधिकारियों ने शनिवार को दी।

गर्मी के महीने में बिहार में आग लगने की घटनाएं आम हैं। वे लोग इस खतरे की जद में ज्यादा हैं, जो अब भी फूस के घरों में रहते हैं।

अधिकारियों ने कहा कि विगत 10 दिनों में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने और लू चलने से आग लगने की घटनाओं में वृद्धि हुई है।

जिले के एक अधिकारी ने कहा कि आग के डर से पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा के दर्जनों गांवों में लोग ढोल बजाकर सुबह नौ बजे के बाद खाना बनाने के लिए लकड़ी या किरासन तेल वाला स्टोव नहीं जलाने की चेतावनी देते हैं, ताकि आग लगने का खतरा कम हो जाए।

लोगों ने उल्लंघन करने वालों को दंडित करने का फरमान भी जारी किया है, “ऐसे लोगों को जूते और चप्पलों से पीटने के अलावा उन पर 1000 रुपये जुर्माना भी लगाया जाएगा।”

जिला के एक अधिकारी ने कहा कि उल्लंघन करने वालों को चिन्हित करने के लिए और फरमान को प्रभावी बनाने के लिए ग्रामीणों ने कई टीमें भी बनाई हैं।

राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, गत शुक्रवार तक आग की घटना में 21 लोगों और करीब 50 जानवरों की मौत हो चुकी है, जबकि सात लोग और 11 जानवर झुलस कर घायल हो गए हैं। इस गर्मी में अग्निकांडों से पूरे बिहार में करीब 5,742 परिवार प्रभावित हुए हैं।

केवल पश्चिमी चंपारण जिले में अग्निकांडों से 800 परिवार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। यहां अधिकांश लोग फूस के घरों में रहते हैं।

एक अधिकारी ने कहा कि स्थानीय अधिकारीगण लोगों में जागरूकता फैला रहे हैं। अधिकारी लोगों को एहतियाती उपायों के बारे में भी जानकारी दे रहे हैं। राज्य में पश्चिमी हवा लगातार बहने के कारण आग लगने की घटनाओं के मद्देनजर लोगों को दोपहर बाद लकड़ी और स्टोव नहीं जलाने की चेतावनी दी जा रही है।

पश्चिमी चंपारण जिले के लक्ष्मीपुर, पतिलार, रातवल, लगुनहा, सीतापुर और अहरवालिया गांव के लोगों ने सुबह ही खाना बना लेने का फैसला किया है, क्योंकि पश्चिमी हवा दिन में 10 बजे के बाद बहने लगती है।

जिले के कुछ गांवों में लोगों ने खाना नहीं बनाने का फैसला किया है।

अधिकारियों ने कहा, “इमरा थाना के पांचगांव और पड़ोसी गांवों के लोग रात में खाना नहीं बना रहे हैं। कुछ ग्रामीण रात में किरासन तेल वाला लैंप भी नहीं जलाते हैं और बैटरी वाला टार्च और लैंप का इस्तेमाल करते हैं।”

अधिकारियों ने राज्य में आग लगने की 400 घटनाओं की जानकारी दी। दूरस्थ गांवों, जहां अधिकांश घर फूस के बने हैं, वहां आग की भयंकर घटनाएं हुई हैं।

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