वाराणसी– मणिकर्णिका महाश्मशान में पंक्तिबद्ध धधकती चिताएं,मातम के मध्य घुँघरू पैरों में बाँध नृत्य करती नगरवधुएं.देश के विभिन्न हिस्सों से वासंतिक सप्तमी के दिन ये नगर वधुएँ यहाँ एकत्रित हो नृत्य करती हैं. राजा जयसिंह के समय से यह परंपरा चली आ रही है.नगरवधुएं बिना किसी पारश्रमिक के यहाँ निमंत्रण स्वीकार करती हैं एवं नृत्य करती हैं.
इनके पीछे कारण यह है की वे शिव जी से प्रार्थना करती हैं की अगली जनम उन्हें यह कर्म नहीं करना पड़े.अपने शरीर को बेच कर जीवकोपार्जन करने की जिल्लत से मुक्ति हेतु यह उनकी प्रार्थना का तरीका है..
शवदाह करने आये लोग भी शवदाह के बाद इस नृत्य कार्यक्रम में डूब जाते हैं.मसान के देव भोलेनाथ से संगीतमय प्रार्थना को ध्यान से देखने पर मुक्ति के लिए छटपटाती वे आत्माएं दिखती हैं जो अपनी इस जिल्लत भरी जिंदगी से मुक्ति की प्रार्थना कर रही हैं.