बैठक में पदोन्नतियों में आरक्षण के लिए संविधान में 117वें संशोधन के लिए लंबित विधेयक को पास कराने व उप्र सरकार द्वारा किए जा रहे कथित दलित उत्पीड़न के खिलाफ लगातार चलाए जा रहे आंदोलन की समीक्षा की गई और संघर्ष समिति द्वारा छापी गई बुकलेट ‘संघर्ष गाथा’ सभी जिलों में भेजने का निर्णय लिया गया।
बैठक में तय गया कि ‘संघर्ष गाथा’ को गांव-गांव तक भेजकर आरक्षण समर्थकों को यह संदेश देना है कि जब तक देश व प्रदेश में आरक्षण समर्थक सरकार नहीं बनेगी, तब तक बाबा साहब अंबेडकर द्वारा बनाई गई संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा नहीं की जा सकती।
संघर्ष समिति के संयोजकों ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा जिस तरह आरक्षण पर लगातार कुठाराघात किया जा रहा है, उससे यह सिद्ध हो रहा है कि भाजपा का रवैया पूरी तरह दलित विरोधी है।
संयोजकों ने कहा कि बाबा साहब की 125वीं जयंती के अवसर पर केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पदोन्नति संबंधी विधेयक पर चुप्पी साधे रहने से आरक्षण समर्थकों को यह संदेश मिल गया है कि मोदी सरकार यह विधेयक पास कराना नहीं चाहती।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी कहते कुछ हैं, लेकिन सरकार करती कुछ और है। इसलिए हमें संकल्प लेना चाहिए कि प्रत्येक राज्य में भाजपा का हश्र बिहार चुनाव जैसा करना है।”
संयोजकों ने कहा कि मिशन 2017 के तहत संघर्ष समिति को से अब हर पल अपने आंदोलन को लगातार आगे बढ़ाना है और जन-जन तक यह संदेश प्रसारित करना है कि मोदी सरकार दलित समाज को गुमराह कर केवल वोट की राजनीति कर रही है।
संयोजकों ने कहा कि आरएसएस की विचारधारा से पोषित भाजपा सरकार पदोन्नति विधेयक को पास न कराकर उप्र में दलितों का उत्पीड़न कराना चाहती है, लेकिन प्रदेश के आरक्षण समर्थक उप्र में आरक्षण समर्थक सरकार बनाकर अपने अपमान का बदला लेंगे।