श्रीनगर, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को यहां आदेश दिया कि भीड़ को नियंत्रित करते समय नागरिकों को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचे। बीते दो दिनों में सुरक्षा बलों की कथित गोलीबारी और आंसू गैस के गोले से चार नागरिकों की मौत के बाद कश्मीर घाटी में तनाव है। घाटी के कई हिस्सों में कर्फ्यू लागू है। हर तरफ डरावनी खामोशी छाई हुई है।
पुलिस ने कहा है कि उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में दो दिन तक प्रदर्शनकारियों एवं सुरक्षा बलों के बीच भीषण झड़पों के बाद घाटी में गुरुवार को कहीं से किसी हिंसा या विरोध-प्रदर्शन की खबर नहीं है।
एहतियात के तौर पर गलियों में हथियारों से लैस पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान गश्त लगा रहे हैं ताकि निषेधाज्ञा का उल्लंघन नहीं हो और उत्पात वाले इलाकों में शांति बनी रहे।
स्थानीय लोगों की मौत के विरोध में पूरी कश्मीर घाटी मेंअलगाववादी गुटों ने बंद का आह्वान किया था। जिसका पूरा असर देखा गया।
अधिकारियों ने एहितायाती कदम के रूप में और अफवाहों को रोकने के लिए समूची घाटी में मोबाइल और इंटरनेट सेवा बंद करा दी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि पुराने श्रीनगर शहर के हिस्सों में प्रतिबंध जारी रहेंगे। कारोबार के मुख्य केंद्र लाल चौक पर भी आने-जाने पर रोक लगाई गई है।
उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा शहर और सीमा से लगते कुपवाड़ा जिले के कुछ हिस्सों में भी कर्फ्यू लगाया गया है।
हंदवाड़ा शहर में मंगलवार को ऐसी अफवाहें उड़ी थीं कि एक सैनिक ने किशोरी से छेड़छाड़ की है, जिसका विरोध करने सड़कों पर उतरे स्थानीय लोगों की सुरक्षाबलों से हिंसक झड़प हुई। सुरक्षाबलों ने हिंसक भीड़ को काबू करने के लिए गोलियां चलाईं, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई।
सेना ने छेड़छाड़ के आरोप को खारिज किया है और कहा है कि यह अफवाह उसे बदनाम करने के लिए फैलाई गई।
इंटरनेट पर एक वीडियो जारी हुआ है जिसमें लड़की को भी इस आरोप को गलत बताते हुए दिखाया गया है।
इस घटना के एक दिन बाद बुधवार को लोग हंदवाड़ा की घटना के विरोध में कुपवाड़ा जिले में सड़कों पर उतर आए। इस दौरान पुलिस ने आंसू गैस का गोला छोड़ा, जो 25 वर्षीय युवक के सिर में जा लगा। बाद में उसकी मौत हो गई।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती मंगलवार को जब से यह समस्या शुरू हुई, तभी से नई दिल्ली में कैंप कर रही थीं। वह गुरुवार दोपहर बाद श्रीनगर लौट आईं और वरिष्ठ प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने राज्य पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि भीड़ को नियंत्रित करने के दौरान किसी भी नागरिक को कोई नुकसान नहीं हो।
यह बैठक श्रीनगर के गुपकर रोड स्थित उनके फेयर व्यू आवास पर हुई। बैठक में राज्य के पुलिस महानिदेशक के. राजेंद्र कुमार भी मौजूद थे। उन्होंने निर्देश दिया कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
आरोप लगाया जा रहा है कि पुलिस और सेना ने उग्र भीड़ से निपटने के लिए स्थापित मानकों का पालन नहीं किया। इन घटनाओं की जांच का आदेश दिया गया है।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि अधिकारियों ने दक्षिण व उत्तरी कश्मीर के अन्य शहरों में पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए हैं ताकि ‘शरारती तत्वों को कानून एवं व्यवस्था को भंग करने से रोका जा सके।’
सैयद अली शाह गिलानी, मीरवायज उमर फारूक और यासीन मलिक सहित अन्य अलगाववादी नेताओं को घरों में नजरबंद रखा गया है। इन लोगों ने मौतों के खिलाफ बंद का आह्वान किया है।
बंद का पूर्ण असर देखा गया। दुकानें, स्कूल, कॉलेज, दफ्तर और अन्य कारोबारी संस्थान बंद रहे। कश्मीर घाटी में यातायात के सार्वजनिक साधन सड़कों से नदारद रहे। यह स्थिति उन इलाकों में भी है जहां प्रशासन ने प्रतिबंध नहीं लगाए हैं।
अलगाववादियों ने शुक्रवार को भी नमाज के बाद विरोध-प्रदर्शन का आह्वान किया है।