(भोपाल)– बाबा साहब अम्बेडकर जी की जयंती के 125 वर्ष पूर्ण हुए और भारत के राजनैतिक दलों में एकाएक बाबासाहब को अपनाने की होड़ लग गयी.भाजपा ,कांग्रेस,आप सहित सभी पार्टियों के सरमायादार एकाएक बाबा साहब बन गए.सड़क चौराहों पर उनके लिए तपती धूप में कार्यकर्ता मचलने लगे .दलित मोर्चे का प्रतिनिधित्व एक बैनर के तले ना होकर 10 से अधिक पंडाल भोपाल के बोर्ड आफिस चौराहे पर लगे हुए मिले.
बाबा साहेब की 125 वीं जयंती और भोपाल का बोर्ड आफिस चौराहा हम भी चल दिए वहां का नजारा देखने लेकिन प्रत्येक जयंती से अलग हट वहां का नजारा बदला हुआ था.इस दफे सभी राजनैतिक दल और उनके प्रतिनिधि वहां उपस्थित थे सबसे बड़ा परिवर्तन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गणवेश धारी एवं उनके द्वारा बजाय गया संघ घोष एवं मानवंदना थी.
सब अपने में मस्त थे अय्यार को समझ ही नहीं आ रहा था की आखिर इस वर्ष सभी नेता इतनी गर्मी में क्यों अपना दिमाग गरम कर रहे उनके नारे लगाने की शक्ति भी ख़त्म हो रही थी लकिन वे सब हटने का नाम ही नहीं ले रहे थे.ऐसा प्रतीत हो रहा था की सभी दल बाबा साहेब को अपना बताने की कानूनी कार्यवाही करेंगे.
तभी अय्यार की नजर एक बोर्ड पर पड़ी जो दलितों के लिए संघर्ष करने वाले किसी दल ने लगा रखा था और उसी बोर्ड आफिस चौराहे पर उसमें बाबा साहब का एक सन्देश लगा था ,”अपने उद्धार और उत्थान के लिए सत्ता रुपी मंदिर पर कब्ज़ा करो.” अरे यह चक्कर है अब अय्यार को समझ आ गया क्यों भाई लोग इतनी मेहनत कर रहे हैं.अपनी विधानसभा में जीतने के बाद जल्दी दिखने नहीं वाले विधायक धूप में खड़े हो महापौर का इन्तजार कर रहे थे.संघ का आकर्षक एवं अनुशासित कार्यक्रम हो चुका था.दुकानदार भी ऐसे वक्त बाबा साहब से सम्बंधित कपडे एवं अन्य सामान ले दुकान सजाये थे .प्रत्येक टेंट में तीन-चार से अधिक लोग नहीं थे यदि ये सब एक ही टेंट में होते तो संख्या बल अधिक दिखता लेकिन दुकानदारी जरूरी या बाबा साहेब के सन्देश यह स्पष्ट समझ आ रहा था.