पुणे, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन करते हुए सौर पैनल निर्माताओं को संरक्षण देने के लिए भारत अमेरिका के खिलाफ 16 मामले दायर करेगा। इसके साथ ही उन्होंने पश्चिमी देशों पर जलवायु परिवर्तन को लेकर दोहरा दृष्टिकोण अपनाने का आरोप लगाया।
पुणे, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन करते हुए सौर पैनल निर्माताओं को संरक्षण देने के लिए भारत अमेरिका के खिलाफ 16 मामले दायर करेगा। इसके साथ ही उन्होंने पश्चिमी देशों पर जलवायु परिवर्तन को लेकर दोहरा दृष्टिकोण अपनाने का आरोप लगाया।
गोयल ने शनिवार शाम यहां मराठा चैम्बर ऑफ कॉमर्स और पुणे इंटरनेशनल सेंटर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक व्याख्यान में कहा, “अमेरिका भारत की बनिस्बत प्रति व्यक्ति सात गुना अधिक कोयले का इस्तेमाल करता है। अमेरिका असहज झूठ बोल रहा है, जबकि भारत सुविधाजनक कार्रवाई कर रहा है। स्वच्छ ऊर्जा वित्तपोषण पर विकसित देशों ने बोला तो बहुत कुछ लेकिन किया कुछ नहीं।”
गोयल ने कहा, “डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन करने के लिए मैं अमेरिका के खिलाफ 16 मामले दायर करने जा रहा हूं। हमारा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन इसी पर निर्भर है। यदि भारत जैसे बड़े देश के साथ ऐसा हो रहा है, तो कल्पना कीजिए कि अविकसित दुनिया के देशों के साथ क्या होगा।”
बिजली मंत्री ने कहा कि भारत को अमेरिकी अवरोध और दबाव स्वीकार नहीं होंगे। उन्होंने कहा, “मुझे इससे आश्चर्य हुआ है कि जो देश नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित करने की बात करता है, वह डब्ल्यूटीओ में भारत के खिलाफ काम करता है और कहता है कि आपने 400 मेगावाट क्षमता का घरेलू स्तर पर विनिर्मित पैनल क्यों लगाए।”
गोयल ने कहा, “आपको तो हमें 400 मेगावाट में भी प्रतिस्पर्धा करने देना चाहिए, जिसे भारत ने घरेलू स्तर पर बनाया है और उसे स्थापित किया है। वे डब्ल्यूटीओ जाते हैं और एक मामला जीतते हैं और इसे दुनिया में नवीकरणीय ऊर्जा को एक योगदान का ढिढोरा पीटते हैं।”
गोयल ने कहा कि अमेरिका में विभिन्न राज्यों में 16 कार्यक्रम हैं, जो सौर पैनल निर्माताओं को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं, जो कि डब्ल्यूटीओ के नियमों का सरासर उल्लंघन है।
गोयल ने हाल ही में लांच भारत प्रेरित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत की चिंता का एक स्पष्ट उदाहरण बताया, और कहा कि संरक्षण की पारंपरिक विधि भारत को जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व करने वाले एक स्वाभाविक देश के रूप में पेश करती है।