इस्लामाबाद, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। पाकिस्तान ने वर्ष 2015 में 326 लोगों को मृत्युदंड दिया, जो देश के इतिहास में सर्वाधिक संख्या है।
इस्लामाबाद, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। पाकिस्तान ने वर्ष 2015 में 326 लोगों को मृत्युदंड दिया, जो देश के इतिहास में सर्वाधिक संख्या है।
डॉन ऑनलाइन की रपट के अनुसार, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि पिछले वर्ष दुनियाभर में कम से कम 1,634 लोगों पर मृत्युदंड तामील कराया गया। यह संख्या 2014 के 1,061 से काफी अधिक है। पाकिस्तान फांसी देने के मामले में तीसरे स्थान पर है।
इस आंकड़े में चीन शामिल नहीं है, क्योंकि वहां मृत्युदंड के मामलों की संख्या को गोपनीय रखा जाता है।
रपट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर मृत्युदंड के मामले में पाकिस्तान का स्थान सऊदी अरब और ईरान के बाद आता है, और तीनों देशों को मिलाकर मृत्युदंड के कुल मामलों का लगभग 90 प्रतिशत हो जाता है।
रपट के अनुसार, सऊदी अरब में मृत्युदंड की संख्या 76 प्रतिशत बढ़कर 158 हो गई है, जबकि ईरान में यह 31 प्रतिशत बढ़कर 977 हो गई है।
एमनेस्टी ने कहा कि उसे जानकारी मिली है कि ईरान और पाकिस्तान ने 2015 में जिन लोगों को मृत्युदंड दिया, अपराध को अंजाम देते समय उनकी उम्र 18 वर्ष थी। संस्था ने कहा है कि कई अन्य देशों में किशोर मृत्यदंड का सामना कर रहे हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय की निदेशक चंपा पटेल ने कहा, “पिछले वर्ष के दौरान पाकिस्तान दुनिया में दर्ज मृत्युदंड के मामलों में छलांग लगाते हुए तीसरे स्थान पर पहुंच गया, जो कि एक शर्मनाक स्थिति है और इससे किसी को प्रेरणा नहीं लेनी चाहिए। हां, ईरान और सऊदी अरब से वह पीछे है।”
पटेल ने कहा कि पाकिस्तान ने पिछले वर्ष 326 लोगों को मृत्युदंड दिया। उनमें से अधिकांश आतंवाद संबंधित मामलों के दोषी नहीं थे। और इस बात के भी सबूत हैं कि उनमें से कम से कम दो और संभवत: इससे अधिक दोषी उस समय किशोर थे, जब उन्होंने अपराध को अंजाम दिया था।
पटेल ने कहा, “मृत्युदंड हमेशा से अधिकारों का एक उल्लंघन है, लेकिन पाकिस्तान में इसका इस्तेमाल अधिकारों का दोगुना उल्लंघन है। क्योंकि वहां निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाती। एक तो वकीलों की संख्या कम है और दूसरे पुलिस प्रताड़ित कर के अपराध कबूल करा लेती है।”
रपट के अनुसार, अमेरिका में 2015 में 28 लोगों को मृत्युदंड दिया गया। जबकि इसमें से आधी संख्या टेक्सास प्रांत की शामिल है, जहां 13 लोगों को मृत्युदंड दिया गया।