भोपाल। सरकारी जमीन पर बने अवैध धर्म स्थलों (मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारा और चर्च] पर अब अतिक्रमण हटाने के नाम पर कानूनी हथौड़ा नहीं चलेगा।
जिला कलेक्टर के प्रस्ताव पर राज्य सरकार इन अवैध धार्मिक स्थलों को वैध करने जा रही है। इनमें सड़क मार्ग या अन्य सार्वजनिक उपयोग में बाधा बनने वाले धार्मिक स्थल वैध नहीं होंगे। इस संबंध में धर्मस्व एवं धार्मिक न्यास विभाग धार्मिक स्थानों के प्रबंधन एवं गतिविधियों के विनियमन अधिनियम 2001 में संशोधन करने जा रहा है। इसका प्रारूप तैयार कर विधि विभाग को भेजा गया है। विधि विभाग की सहमति मिलने के बाद इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए कैबिनेट को भेजा जाएगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में लगभग 53 हजार धार्मिक स्थल ऐसे हैं जो सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से बने हुए हैं। सार्वजनिक स्थलों एवं सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक संस्थानों को हटाने को लेकर 2006 सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी। याचिका की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से सड़क मार्ग एवं सार्वजनिक स्थलों पर अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों को हटाने का निर्णय सुनाया था। साथ ही में सभी राज्यों को हर तीन माह में हलफनामा देकर इसकी जानकारी देने को कहा गया था। इस निर्णय के पालन में प्रदेश के मुख्य सचिव को हर तीन माह में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर बताना पड़ता है कि कितने स्थल को वैध किया गया और कितने संस्थानों का सरकारी जमीन पर से अतिक्रमण हटाया गया।
सूत्रों का कहना है कि अब तक राज्य सरकार 360 धार्मिक स्थलों को वैध कर चुकी है। वर्तमान अधिनियम में सरकारी जमीन पर बने धार्मिक संस्थानों को वैध करने के कोई स्पष्ट नियम न होने के कारण राज्य सरकार को इन्हें वैध करने में परेशानी आ रही है। इस समस्या को दूर करने के लिए ही अधिनियम 2001 में संशोधन किया जा रहा है।
प्रारूप तैयार है
हमने अधिनियम 2001 में संशोधन करने का प्रारूप तैयार कर विधि विभाग को भेज दिया है, उनकी सहमति मिलते ही हम इसे कैबिनेट में ले जाएंगे। -राजेन्द्र सिंह, उप सचिव धर्मस्व एवं धार्मिक न्यास विभाग