जींद। ऐतिहासिक स्थल बराह तीर्थ पर द्वादशी के शुभ अवसर पर दूसरे सामूहिक हवन व यज्ञ का आयोजन वराह कला गांव में भगवान वराह के प्राचीन तीर्थ पर द्वादशी के शुभ अवसर पर दूसरे सामूहिक हवन व यज्ञ का आयोजन किया गया।
हवन व यज्ञ का आयोजन भारतीय परंपरा के अनुसार शुद्धि करण के लिए किया गया। इसका उद्देश्य तीर्थ के कायाकल्प एवं समृद्धि में आने वाली बुरी आत्मा इत्यादि के प्रभाव से मुक्ति मिल सके। वराह तीर्थ के महंत उमेश गिरी ने बताया कि सकंद पुराण, वामन पुराण, पद्म पुराण और महाभारत के अनुसार भगवान विष्णु ने यहां वराह का अवतार लिया था, इसलिए इस तीर्थ आने के इच्छुक श्रद्धालु विदेशों में भी है परंतु तीर्थ के बारे प्रचार, प्रसार व विकास नहीं होने के कारण नहीं आ पाते।
उन्होंने बताया की हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर यहां मेला लगता है। मेले में गांव के ही नहीं बल्कि आसपास क्षेत्र से लाखों लोग भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं, लेकिन प्रशासन की अनदेखी का शिकार ऐतिहासिक तीर्थ स्थल बराह हो रहा है।
उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु ने दस अवतारों में से तीसरे अवतार बराह के रूप में इस बराह नामक गांव के बराह तीर्थ में अवतार लिया। प्रलय के समय पृथ्वी रसाथल में गई हुई थी, तब भगवान विष्णु ने बराह के रूप में अपना रूप धारण करके अपने नाक के कोने पर सारी पृथ्वी को ऊपर लाकर इस सृष्टि को बचाया।
इस तीर्थ में स्नान करने के लिए युधिष्ठिर आदि पांचों पांडव अपने पितरों को जल देने के लिए तथा भगवान बराह की पूजा करने के लिए बराह तीर्थ पर पधारे तथा शेषनाग के अवतार बलराम जी भी ब्रह्म हत्या के श्राप से मुक्त होने के लिए तीर्थ यात्रा पर आए थे और इस तीर्थ स्थान में स्नान करके ब्रह्म हत्या का पाप दूर किया था। इस तीर्थ स्थल की खुदाई जहां पांडुओं ने की थी, वहीं पर भगवान श्री कृष्ण ने स्नान कर पूजा अर्चना भी की थी।
श्रद्धालु रमेश, राममेहर, जयपाल, सुधीर आदि ने बताया कि एक महीने में भगवान बराह के आशीर्वाद व सरपंच मूर्ति देवी के सहयोग से तीर्थ से कुछ अतिक्रमण हटा दिए गये है, बाकी जल्द ही प्रशासन के सहयोग से हटवा दिए जाएंगे। अन्ना टीम जींद ने तीर्थ के जीर्णोद्धार में पूर्ण सहयोग का विश्वास दिया। लोगों ने निर्णय लिया कि मुख्यमंत्री के जींद दौरे पर ऐतिहासिक स्थल बराह तीर्थ की दयनीय स्थिति व अनदेखी बारे अवगत कराया जाएगा।