नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को मजबूत बनाने पर बल देते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने एक बार फिर कहा कि कांग्रेस विरोधी दलों को जोड़ना आज की राजनीति की आवश्यकता है।
शुक्रवार को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 61वें बलिदान दिवस पर आयोजित एक समारोह के दौरान आडवाणी ने कहा, आजादी के बाद जब देश की राजनीति में कांग्रेस का वर्चस्व था, ऐसे समय में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना के बाद विभिन्न दलों को अपने से जोड़ने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस के एकाधिकार को तोड़ना है, तो अन्य कांग्रेस विरोधी दलों को जोड़ना होगा।
आडवाणी ने कहा, मुखर्जी के इस बयान का महत्व आज की राजनीति के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि बीजेपी में नरेंद्र मोदी का कद बढ़ाए जाने तथा जेडीयू के एनडीए से नाता तोड़ लेने पर आडवाणी नाराज बताए जाते हैं। बीजेपी के गोवा अधिवेशन में मोदी को पार्टी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के कथित विरोध में आडवाणी ने 10 जून को बीजेपी के तीन पदों से इस्तीफा दे दिया था। इस समारोह में बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान का उल्लेख करते हुए आडवाणी को उत्कृष्ट कोटि का चिंतक और पार्टी का सर्वोपरि मार्गदर्शक बताया।
पार्टी नेताओं को श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बताए रास्ते पर चलने की नसीहत देते हुए आडवाणी ने कहा कि आजादी के बाद पहले चुनाव में जनसंघ के देश के विभिन्न राज्यों में विधानसभा में 35 विधायक विजयी हुए थे, इसमें पश्चिम बंगाल से नौ विधायक और राजस्थान से आठ विधायक थे। इसी समय कांग्रेस नीत सरकार ने राजस्थान में जागीरदारी उन्मूलन विधेयक पेश करने का निर्णय किया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस विधेयक का समर्थन किया, हालांकि राजस्थान में आठ में से हमारे छह विधायक इसके पक्ष में नहीं थे और उन्होंने इसका विरोध करने का निर्णय किया था।
आडवाणी ने कहा, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि कोई भी पार्टी चुनावी घोषणापत्र में जो बात कहती है, उसे पूरा करना होता है, क्योंकि वह जनता को दिया गया वचन होता है। अगर पार्टी के विधायक जनता से किए गए इस वादे को पूरा नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में भी हिचक नहीं होनी चाहिए।
बीजेपी नेता ने कहा कि उस समय जब पार्टी (जनसंघ) शैशवावस्था में थी, तब इस विधेयक का विरोध करने वाले छह विधायकों को पार्टी से निष्काषित किया गया। आज भला कोई ऐसा सोच सकता है। आडवाणी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का प्रेरक और आदर्श इतिहास रहा है, जो आज भी पार्टी के लिए प्रसांगिक है। उन्होंने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि जम्मू-कश्मीर में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत की कोई जांच नहीं की गई।
आडवाणी ने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में पहली सरकार में श्यामा प्रसाद मुखर्जी और डॉ अंबेडकर को मंत्री बनाया गया था। कांग्रेस के आलोचक दोनों नेताओं को महात्मा गांधी की सलाह पर नेहरू ने मंत्रिमंडल में शामिल किया था।