उज्जैन, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन से होकर गुजरने वाली मोक्षदायिनी नदी के नाम को लेकर सरकारी दस्तावेजों ने भ्रम पैदा कर दिया है। दस्तावेजों में इस नदी का नाम कहीं ‘शिप्रा’ लिखा है तो कहीं ‘क्षिप्रा’ यानी नदी के नाम को लेकर एकरूपता नहीं है।
उज्जैन, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन से होकर गुजरने वाली मोक्षदायिनी नदी के नाम को लेकर सरकारी दस्तावेजों ने भ्रम पैदा कर दिया है। दस्तावेजों में इस नदी का नाम कहीं ‘शिप्रा’ लिखा है तो कहीं ‘क्षिप्रा’ यानी नदी के नाम को लेकर एकरूपता नहीं है।
शिप्रा या क्षिप्रा नदी की इस समय चर्चा की वजह है, क्योंकि 22 अप्रैल से उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ शुरू होने जा रहा है, और करोड़ों लोग इस नदी में स्नान कर पुण्य अर्जित करने यहां आने वाले हैं, मगर नदी के नाम को लेकर असमंजस कायम है। सरकारी दस्तावेजों में दर्ज अलग-अलग नाम ने भ्रम को और बढ़ाया है।
उज्जैन में वर्ष 2004 में हुए सिंहस्थ के प्रशासनिक प्रतिवेदन को देखें तो उससे पता चलता है कि मोक्षदायिनी का नाम ‘शिप्रा’ है, मगर सिंहस्थ कुंभ-2016 की तैयारियों का जो प्रतिवेदन तैयार किया गया है, उसमें इस नदी को ‘शिप्रा’ बताया गया है। इन्हीं दस्तावेजों ने नदी के नाम को लेकर भ्रम पैदा कर दिया है।
उज्जैन के संभागायुक्त रवींद्र पस्तोर से जब आईएएनएस ने इस नदी के नाम के बारे में पूछा तो उन्होंने इसे ‘शिप्रा’ बताया।
इसी सिलसिले में सिंहस्थ मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष दिवाकर नातू से चर्चा की गई तो उन्होंने माना कि आमजन इस नदी को ‘शिप्रा’ और ‘क्षिप्रा’ दोनों नामों से पुकारते हैं, इसको लेकर अपने-अपने तर्क भी हैं। साथ ही वह सरकारी दस्तावेजों में एकरूपता न होने की बात भी स्वीकारते हैं।
नदी के नाम को लेकर पैदा हुए भ्रम की बात यहीं खत्म नहीं हो जाती। राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा सिंहस्थ कुंभ को लेकर जारी की जाने वाली आधिकारिक विज्ञप्तियां इस भ्रम को और बढ़ाने वाली है।
उज्जैन का जनसंपर्क विभाग कार्यालय इस नदी को ‘शिप्रा’ लिखता है तो विभाग का भोपाल मुख्यालय इसी नदी को ‘क्षिप्रा’ बताता है। अब सवाल उठ रहा है कि ऋषि अत्री के शरीर से प्रकट हुई इस नदी का सही नाम भी हमारे सरकारी महकमे को पता नहीं है।