कोलकाता, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय में शुक्रवार को एक याचिका दाखिल कर गुरुवार को यहां एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरने के मामले की न्यायालय की निगरानी में जांच कराने की मांग की गई। इस मामले में अब तक 24 लोगों की जान जा चुकी है।
मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर की पीठ के समक्ष दायर जनहित याचिका में व्यस्ततम पोस्ता इलाके में विवेकानंद फ्लाईओवर के गिरने के कारणों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर के विशेषज्ञों के एक पैनल से जांच कराने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता के वकील गौतम डे ने कहा, “पुल के निर्माण के लिए जिस सामग्री का इस्तेमाल हुआ, उसकी गुणवत्ता की जांच की गई थी या नहीं, निर्माण सामग्री आईएसआई गुणवत्ता प्राप्त थी या नहीं तथा क्या इस पूरी परियोजना में ही किसी प्रकार की त्रुटि तो नहीं थी, इन सब बातों के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी से जांच कराने की जरूरत है।”
डे ने कहा, “इसलिए हमने न्यायालय से एक कमेटी के गठन का अनुरोध किया है, जिसमें आईआईटी खड़गपुर के विशेषज्ञ हों और वह न्यायालय की निगरानी में इस मामले की जांच करें। हमने पूरे मामले की सीबीआई जांच के लिए भी आग्रह किया है।”
याचिका में हैदराबाद की आईवीआरसीएल कंपनी की वित्तीय स्थिति की जांच की मांग भी की गई है, जिसने पुल के दो किलोमीटर के उस हिस्से का निर्माण किया था, जो गुरुवार दोपहर अचानक ध्वस्त हो गया।
शहर की पुलिस ने यहां स्थित कंपनी के कार्यालयों को सील कर दिया है और उसके खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है।
कंपनी के खिलाफ मामला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर दर्ज किया गया है, जिन्होंने इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया है।
आईवीआरसीएल कंपनी वित्तीय संकट से जूझ रही है। इसे कई राज्यों में काली सूची में डाल दिया गया है। कंपनी ने गुरुवार को कहा कि यह त्रासदी ‘एक दैवीय कृत्य’ (एन एक्ट आफ गॉड) है।
मार्च 2015 तक 1,500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान झेल चुकी कंपनी के शेयर गुरुवार को हुई त्रासदी के बाद औंधे मुंह गिर पड़े।