इंफाल/नई दिल्ली, 29 मार्च (आईएएनएस)। अधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने मंगलवार को नई दिल्ली में न्यायालय को आश्वासन दिया कि अगर यह कानून वापस ले लिया जाए तो वह अपना अनशन तोड़ देंगी। वह सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम को समाप्त करने की मांग को लेकर चार नवंबर, 2000 से आमरण अनशन पर हैं।
इंफाल में रिहा होने के तुरंत बाद गत छह-सात अक्टूबर, 2006 को जंतर मंतर पर अनशन के दौरान आत्महत्या के प्रयास मामले में शर्मिला नई दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में न्यायमूर्ति एच. सिंह के समक्ष पेश हुईं।
उन्होंने लोगों से खचाखच भरी अदालत में कहा कि उन्हें अपने जीवन से प्यार है, लेकिन इसका इस्तेमाल वह केवल अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कर रही हैं।
शर्मिला ने अदालत से कहा, “यह अपराध नहीं है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी अपनी मांगों को लेकर अनशन किया था।”
इससे पहले आत्महत्या के प्रयास मामले में इंफाल की अदालत ने उन्हें दोषी नहीं ठहराया था। लेकिन अनशन जारी रखने पर कुछ ही दिनों के भीतर उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया गया था।
उन्होंने कहा कि एएफएसपीए को रद्द करने की अपनी मांग को असरदार बनाने के लिए वह अनशन कर रही हैं। शर्मिला ने कहा, “एक ही आरोप की बार-बार सुनवाई से मैं निराश हो चुकी हूं।”
उन्होंने कहा, “चूंकि इस देश में लोकतंत्र नहीं है, इसलिए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को साथ देना चाहिए। इस मामले को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की नजर में लाया जाना चाहिए।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने की इच्छा जाहिर की। शर्मिला ने कहा कि यह इच्छा वह पहले भी व्यक्त कर चुकी हैं, लेकिन प्रधानमंत्री उनसे नहीं मिले। मामले की सुनवाई बुधवार को भी होगी।