चंडीगढ़, 29 मार्च (आईएएनएस)। हरियाणा विधानसभा ने जाट व अन्य समुदायों को आरक्षण देने के प्रावधान वाले एक विधेयक को सर्वसम्मति से मंगलवार को पारित कर दिया। जिस वक्त इस विधेयक को पारित किया जा रहा था, कांग्रेस सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे।
विधेयक पारित होने के बाद अन्य समुदाय के लोगों व यहां तक कि कुछ जाट नेताओं व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सांसद ने इसका विरोध किया।
हरियाणा पिछड़ा वर्ग (सरकारी सेवाओं व शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण) विधेयक, 2016 को विधानसभा के जारी सत्र में पेश किए जाने के 15 मिनट के अंदर ही ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पेश किया। विधेयक पर कोई चर्चा नहीं हुई।
विधेयक पारित होते वक्त सदन में भाजपा व इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के सदस्य मौजूद थे, जबकि कांग्रेस सदस्य अनुपस्थित थे।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, विधानसभा अध्यक्ष द्वारा 15 मार्च को कांग्रेस के तीन विधायकों को विधानसभा से छह महीने के लिए निलंबित किए जाने के विरोध में मंगलवार को भी कांग्रेस सदस्य सत्र से अनुपस्थित रहे। विधायकों को राज्यपाल के संबोधन की प्रतियां फाड़ने के लिए उन्हें निलंबित कर दिया गया था। 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के कुल 14 विधायक हैं।
राज्य कैबिनेट ने उस विधेयक को सोमवार को मंजूरी दे दी थी, जिसमें राजनीतिक रूप से प्रमुख जाट समुदायों व चार अन्य समुदायों -जाट सिख, त्यागी, विश्नोई व रोर्स- को आरक्षण देने की बात थी।
खट्टर ने कहा कि इस विधेयक का पारित होना एक ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सरकारी नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में जाटों व अन्य समुदायों को आरक्षण प्रदान करने का वादा पूरा किया।
विधेयक पारित करने के बाद खट्टर ने संवाददाताओं से कहा, “काफी शोध के बाद इस विधेयक को लाया गया। इस विधेयक से हर समुदाय लाभान्वित होंगे। किसी भी समुदाय को नुकसान नहीं होगा।”
वहीं, इस विधेयक पर विधानसभा में जाट नेता बंटे दिखे।
एक तरफ जाट नेता हवा सिंह सांगवान ने विधेयक का स्वागत किया, वहीं दूसरी तरफ एक अन्य जाट नेता यशपाल मलिक ने कहा कि विधेयक से जाट समुदाय को बहुत लाभ नहीं होनेवाला।
कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री अजय सिंह यादव ने इस विधेयक का पारित होना हरियाणा के लिए ‘काला दिन’ करार दिया।
जाटों को आरक्षण का विरोध करने वाले कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद राजकुमार सैनी ने कहा कि यह ‘लोकतंत्र की हत्या’ है। सैनी राजनीतिक रूप से प्रभावशाली जाटों को राज्य में आरक्षण का विरोध करते रहे हैं।
राज्य के एक प्रवक्ता ने यहां कहा, “हरियाणा पिछड़ा वर्ग (सरकारी नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण) अधिनियम, 2016 के पारित होने से पिछड़ा वर्ग ब्लॉक ‘ए’, पिछड़ा वर्ग ब्लॉक ‘बी’ तथा पिछड़ा वर्ग ब्लॉक ‘सी’ को कानूनी मान्यता मिलती है और केंद्र सरकार से इस अधिनियम को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 31बी के साथ नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध करता है।”
यह विधेयक अनुसूची 1,2, तथा 3 के तहत क्लास 1 व क्लास 2 के पदों के लिए पिछड़ा वर्ग ए, पिछड़ा वर्ग बी, पिछड़ा वर्ग सी के लिए आरक्षण को 10 फीसदी, पांच फीसदी तथा पांच फीसदी से क्रमश: 11 फीसदी, छह फीसदी तथा छह फीसदी तक बढ़ाता है।
साथ में यह भी फैसला लिया गया है कि जनरल श्रेणी के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए क्लास 1 व क्लास 2 के पदों के लिए आरक्षण को पांच फीसदी से बढ़ाकर सात फीसदी कर दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि हाल में जाट समुदाय के लोगों द्वारा राज्य में नौ दिनों के भीषण आंदोलन के बाद भाजपा सरकार ने राज्य में जाटों व अन्य समुदायों को आरक्षण देने का वादा किया था।
इस हिंसक आंदोलन में 30 लोगों की मौत हो गई थी और 320 लोग घायल हो गए थे। करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था।