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 संचारी रोग 5 साल में 32 फीसदी बढ़े, खर्च 7 फीसदी बढ़ा | dharmpath.com

Monday , 25 November 2024

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संचारी रोग 5 साल में 32 फीसदी बढ़े, खर्च 7 फीसदी बढ़ा

देश के प्रमुख तीन संचारी रोगों -मलेरिया, तपेदिक और कुष्ठ- के नियंत्रण पर सरकार का खर्च गत पांच साल में सात फीसदी बढ़ा, जबकि इसी अवधि में इन रोगों के मामले 32 फीसदी बढ़े।

देश के प्रमुख तीन संचारी रोगों -मलेरिया, तपेदिक और कुष्ठ- के नियंत्रण पर सरकार का खर्च गत पांच साल में सात फीसदी बढ़ा, जबकि इसी अवधि में इन रोगों के मामले 32 फीसदी बढ़े।

संचारी रोगों में वृद्धि के रुझान के बीच मलेरिया के मामले में हालांकि 14 फीसदी गिरावट आई।

केंद्र सरकर तीन रोग-नियंत्रण कार्यक्रमों के लिए कोष आवंटित करती है। ये हैं नेशनल वेक्टर-बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी), रिवाइज्ड नेशनल ट्यूबरकुलोसिस कंट्रोल प्रोग्राम (आरएनटीसीपी) और नेशनल लेप्रोसी इरेडिकेशन प्रोग्राम (एनएलईपी)।

इन कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कोष आवंटित होता है। फरवरी 2016 की एकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव रिपोर्ट के मुताबिक मिशन का बजट 2012 से 2016 के बीच 12 फीसदी बढ़कर 17,188 करोड़ रुपये से 19,307 करोड़ रुपये हो गया।

तीन मुख्य कार्यक्रमों पर सरकार का खर्च गत पांच साल में 2011-12 के 924 करोड़ रुपये से 7.2 फीसदी बढ़कर 2015-16 में 991.5 करोड़ रुपये हो गया।

नेशनल वेक्टर-बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के दायरे में मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया, जापानी इनसेफलाइटिस, कालाजार और लिंफेटिक फाइलेरिएसिस जैसे रोग आते हैं। इस कार्यक्रम के लिए आवंटन 2011-12 के 482 करोड़ रुपये से तीन फीसदी घटकर 2015-16 में 463 करोड़ रुपये रह गया।

लोकसभा में दिए गए एक जवाब के मुताबिक मलेरिया के मामले इस बीच 14 फीसदी घटे, जबकि डेंगू के मामले चार गुणा से अधिक बढ़े। जापानी इनसेफलाइटिस और चिकुनगुनिया के मामले 33 फीसदी बढ़े।

2011 और 2016 के बीच तपेदिक नियंत्रण का बजट 23 फीसदी बढ़ा, जबकि दर्ज किए गए मामले इस दौरान करीब दो गुना हो गए।

कुष्ठ उन्मूलन कार्यकम पर खर्च 16 फीसदी घटा, जबकि मामले 36 फीसदी बढ़ गए।

गत पांच साल में तीन कार्यक्रमों के लिए केंद्र से राज्य को जारी कोष 2011-12 के 947 करोड़ रुपये से घटकर 2015-16 में 395 करोड़ रुपये हो गया।

(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। ये लेखक के निजी विचार हैं)

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