मुंबई, 22 मार्च (आईएएनएस)। कृषि को देश की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण बताते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को यहां ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ और ‘एकीकृत पैकेज बीमा योजना’ की शुरुआत की।
उन्होंने कहा कि इन संशोधित बीमा योजनाओं में कृषि क्षेत्र की समस्या को दूर करने की क्षमता है और एक अप्रैल से खरीफ फसलों को सुरक्षा देने के लिए इन्हें मिशन मोड पर लागू किया जाएगा।
जेटली ने कहा कि हालांकि पहले भी फसल बीमा योजनाएं थीं, लेकिन मुख्यत: फसल ऋणों तक सीमित होने के कारण वे आंशिक रूप से कही सफल थीं।
उन्होंने कहा, “यह फसल बीमा पहले से अलग तरह का है और यह अंतर भारतीय किसानों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।”
जेटली ने कहा कि इस योजना का दायरा बड़ा होने के कारण बड़े जोखिम को छोटे प्रीमिय से सुरक्षा दी जा सकती है।
इस बीमा योजना के तहत खरीफ फसलों और तिलहनों के लिए किसानों के लिए देय प्रीमियम सम एश्योर्ड का दो फीसदी और रवी फसलों के लिए 1.5 फीसदी है। फसल खराब होने की स्थिति में किसानों को अधिक भुगतान किया जाएगा।
शेष प्रीमियम राशि में से आधा केंद्र सरकार और आधा राज्य सरकार वहन करेगी।
जेटली के मुताबिक, सरकार योजना के दायरे में 50 फीसदी किसानों को लाना चाहती है। इनमें से अधिकांश ऐसे किसान होंगे, जो सिंचाई के लिए पूरी तरह बारिश पर ही निर्भर होते हैं।
जेटली ने कहा कि देश को गरीबी से बाहर निकालने के लिए और विकास दर बढ़ाने के लिए कृषि विकास दर तेज करनी होगी। उन्होंने कहा कि लगातार दो कमजोर मानसून के बाद 2016 का मानसून पूरी प्रणाली के लिए एक परीक्षा साबित होगा।
जेटली ने कहा कि ऐसी स्थिति में नई फसल बीमा योजना को सफलतापूर्वक लागू करने बहुत जरूरी होगा और पूरी बैंकिंग, बीमा और वित्तीय व्यवस्था को इसकी सफलता सुनिश्चित करने में योगदान करने के लिए कहा जाएगा।
वित्तीय सेवा सचिव अंजुली छिब दुग्गल और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अध्यक्ष हर्ष कुमार भानवाला भी मौके पर मौजूद थे।
फसल बीमा योजना को लागू करने के बारे में चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाबार्ड में सभी बैंकों और बीमा कंपनियों के अधिकारियों से मिलने वाले हैं।
बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में 50 फीसदी से अधिक किसानों को लाने के लिए तरीके पर विचार किया जाएगा।