नई दिल्ली, 22 मार्च (आईएएनएस)। इलेक्ट्रिक बसों से 27 फीसदी ज्यादा राजस्व इकट्ठा होता है 82 फीसदी का लाभ रोजाना होता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) के अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है।
नई दिल्ली, 22 मार्च (आईएएनएस)। इलेक्ट्रिक बसों से 27 फीसदी ज्यादा राजस्व इकट्ठा होता है 82 फीसदी का लाभ रोजाना होता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) के अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है।
इस अध्ययन के विशेष महत्व इसलिए है, क्योंकि भारतीय शहरों में सार्वजनिक परिवहन के लिए मुख्य रूप से 1,50,000 डीजल बसों को इस्तेमाल किया जाता है, जिससे शहरों में धुंध और कार्बन उत्सर्जन फैलती है और इसे धरती के गर्म होने का भी जिम्मेदार ठहराया जाता है।
आईआईएससी के अध्ययन में कहा गया है कि एक डीजल बस को इलेक्ट्रिक बस में बदलने से सालाना 25 टन कार्बन डाइऑक्साइड में कटौती होगी।
यह अध्ययन डिवेचा सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज की शीला रामासेशा और उनकी सहयोगियों ने किया।
हालांकि इलेक्ट्रिक बसें कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं करती है, लेकिन उन्हें चार्जिग स्टेशन की जरूरत होती है। भारत में मुख्य तौर पर कोयले को जलाकर ही बिजली बनाई जाती है। हालांकि अगर सौर ऊर्जा से चलनेवाली बैटरी चार्जिग स्टेशन को लगा दिया जाए तो सालाना 25 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
अगर सभी 1,50,000 डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों से बदल दिया जाए तो सालाना 37 लाख टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आ सकती है। इलेक्ट्रिक बसों में केवल एक कमी होती है कि वह महंगी होती है। डीजल बसें जहां 8,50,000 रुपये की आती है वहीं, इलेक्ट्रिक बसों की कीमत लगभग 30,00,000 रुपये होती है।