नई दिल्ली/जम्मू, 22 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की मंगलवार को राजधानी में हुई मुलकात के बाद अगले सप्ताह तक जम्मू एवं कश्मीर में सरकार के गठन की संभावना है और इसी के साथ राज्य में विगत दो महीनों से बने राजनीतिक गतिरोध भी समाप्त हो जाएगा।
प्रधानमंत्री निवास 7, रेस कोर्स पर महबूबा की प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद जम्मू में पीडीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नईम अख्तर ने कहा, “उम्मीद करता हूं कि 29 मार्च तक राज्य में सरकार बन जाना चाहिए।”
भाजपा के महासचिव और जम्मू-कश्मीर प्रभारी राम माधव ने पिछले सप्ताह यह स्पष्ट कर दिया था कि भाजपा पीडीपी की कोई भी नई शर्त नहीं मानेगी। इसके बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और महबूबा के बीच वार्ता विफल हो गई थी और पीडीपी प्रमुख वापस श्रीनगर लौट गई थीं।
लेकिन मंगलवार को प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद महबूबा ने संकेत दिया कि जम्मू-कश्मीर में सरकार का गठन जल्द हो सकता है।
जब उनसे पूछा गया कि सरकार गठन से संबंधित मांगों पर क्या प्रधानमंत्री से आश्वासन मिला तो महबूबा ने कहा, “मुलाकात सकारात्मक रही। जब आप प्रधानमंत्री से मुलाकात करते हैं तो जाहिर है कि जम्मू और कश्मीर के लोगों की समस्याओं के निदान के उपायों पर चर्चा हुई।”
जब महबूबा से पूछा गया कि क्या आप शीघ्र जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री पद का शपथ लेने जा रही हैं तो उन्होंने कहा, “जम्मू और कश्मीर में सरकार गठन पर फैसला लेने के लिए मैं अधिकृत हूं और इस मसले पर गुरुवार को विधायक दल की बैठक में चर्चा करूंगी। वहीं अंतिम निर्णय की घोषणा की जाएगी।”
विदित हो कि गत 7 जनवरी को मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार नहीं है और वहां राज्यपाल का शासन लागू है।
पिता के निधन के बाद महबूबा राज्य में सरकार बनाने की दिशा में सक्रिय हुईं, लेकिन उन्होंने पीडीपी की कई नई मांगें केंद्र सरकार के समक्ष रखी थीं और कहा था कि जब तक ये मांगें नहीं मान ली जातीं, वह मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगीं।
भाजपा के साथ संपर्क सूत्र बहाल हो जाने के बाद महबूबा सोमवार को दिल्ली पहुंचीं। लेकिन यह नहीं पता चला कि आखिर महबूबा का हृदय परिवर्तन कैसे हो गया।
इस संदर्भ में कहा जाता है कि वार्ता के लिए महबूबा के तैयार नहीं होने की सूरत में पीडीपी विधायकों का एक समूह भाजपा को समर्थन देने पर राजी था। इसके बावजूद के दलबदल कानून जम्मू और कश्मीर में कठोर है और किसी दल के सभी विधायक मिलकर भी दलबदल नहीं कर सकते।