नई दिल्ली, 6 मार्च (आईएएनएस)। पिछले दिनों पद्मभूषण सम्मान के लिए चुने जाने और पाकिस्तानी वीजा समय पर नहीं मिलने के बाद उसे ठुकराने को लेकर सुर्खियों में रहे दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर अपने आप में एक ‘एक्टिंग स्कूल’ हैं। मंजी हुई अदाकारी, बच्चों सी मुस्कान और बेबाकी से बात रखने की कला उन्हें दूसरों से थोड़ा अलग बनाती है।
सात मार्च, 1955 को शिमला में जाने अनुपम कश्मीरी पंडित पुष्कर नाथ के बेटे हैं। पिता पेशे से क्लर्क थे।
अनुपम की शुरुआती पढ़ाई शिमला में ही हुई थी। उसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से स्तानक की।
वह हिंदी फिल्मों और हिन्दी नाटकों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कई हॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया है, जिनमें ‘सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक’, ‘बेंड इट लाइक बेकहम’, ‘ब्राइड एंड प्रिज्युडिस’ एवं ‘द अदर एंड ऑफ द लाइन’ व अन्य शामिल हैं।
हिंदी सिनेमा जगत में उनके यादगार कार्यो के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान (2004) भी नवाजा जा चुका है।
अनुपम के अभिनय करियर की शुरुआत फिल्म ‘आगमन’ से हुई थी। ‘डैडी’ और ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके अनुपम को अपने आप में एक एक्टिंग स्कूल कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
वह मुंबई में ‘एक्टर प्रिपेयर्स’ नाम से एक एक्टिंग स्कूल भी चलाते हैं, जिसके पूर्व विद्यार्थियों में मशहूर अभिनेता अभिषेक बच्चन, ऋतिक रोशन, मनीष पॉल, कुणाल कपूर, दीपिका पादुकोण व ईशा गुप्ता का नाम शामिल हैं।
‘सारांश’, ‘जाने भी दो यारों’, ‘दिल’, ‘बेटा’, ‘कर्मा’ व ‘राम लखन’ उनकी कुछ यादगार फिल्में हैं। ‘कर्मा’ में निभाई ‘डॉक्टर डैंग’ की उनकी भूमिका आज भी दर्शकों के जेहन में बसी हुई है।
अनुपम अपने बेबाकीपन के लिए हमेशा चर्चाओं में रहते हैं। उन्हें पिछले दिनों कराची साहित्य सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान जाना था, लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने वीजा देने से इनकार कर दिया था। अनुपम ने इस बात पर दुख जताया था। हालांकि बाद में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने वीजा की पेशकश थी, जिसे अनुपम ने यह कहते हुए ठुकराया दिया था कि ‘अब समय निकल गया है।’
इससे पूर्व, केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले पद्म पुरस्कार प्राप्तकतरओ के नामों की सूची में उनका नाम सामने आने पर सोशल मीडिया पर उन्हें इसके लिए ‘अयोग्य’ करार दिया गया और उन्हें नामित किए जाने का जमकर विरोध हुआ था।
मशहूर अभिनेता कादर खान तक अनुपम का नाम पद्मभूषण के लिए चुने जाने से नाखुश हुए थे। उन्होंने आईएनएस को दिए गए साक्षात्कार में यहां तक कहा था, “उन्होंने (अनुपम) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफों के पुल बांधने के अलावा क्या किया है?”
दरअसल, अनुपम ने 2010 में अपने ट्विटर अकाउंट पर पद्म पुरस्कारों की विश्वसनीयता की ओर उंगली उठाई थी।