नई दिल्ली, 29 फरवरी (आईएएनएस)। पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि आम बजट 2016-17 में कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई है, लेकिन यह वित्तीय घाटा कम करने के मुद्दे पर सराहनीय है।
उन्होंने कहा, “बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई है। इसकी एक अच्छी बात यह है कि इसने सभी तबके को समान रूप से निराश किया है। बजट के इस अवसर का लाभ नहीं उठाया गया।”
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा, “मुझे खुशी है कि सरकार ने मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम की सलाह को न मानकर वित्तीय घाटा कम करने के रास्ते पर बढ़ना उचित समझा। मैं इसे वित्तीय घाटा कम करने के मुद्दे पर पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की नीतियों की पुष्टि किए जाने के रूप में देख रहा हूं।”
उन्होंने कहा, “सरकार ने सुधार शब्द का सही अर्थ नहीं समझा है।”
चिदंबरम ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवर्तन के लिए सुधार का वादा किया था। ‘सुधार’ शब्द को समझा कम गया है और उपयोग अधिक किया गया है। सुधार का मतलब फैक्टर बाजार या उत्पाद बाजार का सुधार है। ऐसे सुधार की बजट में कोई चर्चा नहीं है।”
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार पर वैश्विक तेल मूल्य में हुई गिरावट का पूरा लाभ जनता को नहीं मिलने देने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “सरकार दावा करती है कि कर वसूली लक्ष्य से अधिक रही। क्या कॉरपोरेट कर की अधिक वसूली हुई? नहीं। क्या आयकर की अधिक वसूली हुई? नहीं।”
उन्होंने कहा, “जिस चीज की वसूली अधिक हुई है वह है उत्पाद शुल्क। यह 54,334 करोड़ रुपये अधिक है। यह राशि गत वर्ष बजट पेश किए जाने के बाद अनेक बार पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने से आई।”
चिदंबरम ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, “वह किसानों को लागत तथा 50 फीसदी अतिरिक्त देने के वादे से मुकर गई। इससे भी बुरा उसने गत वर्ष मामूली या जस की तस न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देकर किया।”