पटना/नई दिल्ली, 27 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि बिहार सरकार अन्य राज्यों की तरह यहां के किसानों को कृषि ऋण के मामले में राहत प्रदान करे।
उन्होंने कहा कि बिहार में किसानों को सात प्रतिशत ब्याज दर पर जो ऋण मिलता है, उसका लगभग तीन प्रतिशत ब्याज राहत केन्द्र सरकार से दिया जाता है। बिहार सरकार चाहेगी तो किसानों को ब्याज रहित ऋण मिल सकता है।
कृषि मंत्रालय के बयान के अनुसार, सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों की तरह बिहार सरकार भी चार प्रतिशत ब्याज राहत किसानों को मुहैया कराए, ताकि किसान को शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण प्राप्त हो सके।
सिंह शनिवार को पटना में बिहार राज्य सहकारिता विकास समन्वय समिति द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में बोल रहे थे, जिसका विषय था -‘बिहार के सर्वांगीण विकास एवं निर्माण में सहकारिता की भूमिका’।
उन्होंने कहा, “एक समय था जब देश में बीमारू राज्य जैसा शब्द प्रयोग हुआ करता था, जिसमें बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश शामिल थे। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ अब बीमारू राज्य नहीं कहलाते हैं और मेरा विश्वास है कि भारत सरकार की कृषि संबंधित विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर बिहार भी बीमारू राज्य नहीं रहेगा।”
सिंह ने कहा, “केंद्र सरकार ने अबतक 265 करोड़ रुपये की सहायता नाबार्ड के माध्यम से बिहार की प्रारंभिक सहकारिताओं को वित्तीय सहायता प्रदान की है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के सर्वे के अनुसार आज 46 प्रतिशत किसान परिवार ऋण के बोझ से दबा हुआ है, जो विभिन्न संस्थानों एवं गैर सस्थानों से लिए गए हैं तथा इसका प्रतिशत बिहार के संदर्भ में 49.99 प्रतिशत है।”
उन्होंने कहा कि बिहार एवं समस्त पूर्वी राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों को कृषि ऋण की उपलब्धता में काफी असंतुलन है तथा छोटे एवं बड़े किसानों को मिलने वाले कृषि ऋण में भी असमानता है।
सिंह कहा, “बिहार राज्य में सीमित शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान हैं। इसलिए मैं चाहता हूं कि एक राष्ट्रीय स्तर का सहकारी प्रबंध संस्थान पूर्वी चंपारण में खोला जाए। इसके लिए आवश्यकता अनुसार पांच एकड़ की भूमि राज्य सरकार महात्मा गांधी की चम्पारण सत्याग्रह यात्रा के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर आवंटित करे, ताकि इसकी स्थापना हो सके। इस संस्थान के निर्माण हेतु केन्द्र सरकार पूरी वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।”
कृषिमंत्री ने कहा कि “सहकारी समितियों ने ऋण, उर्वरक, बीज जैसे संसाधन मुहैया कराकर किसानों की राह आसान की है। आज डेयरी सहकारिता ने तो देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बनाई है। इसलिए देश को अगर आगे बढ़ाना है, तो गांव, गरीब एवं किसान को आगे बढ़ाना पड़ेगा।”