सिडनी, 26 फरवरी (आईएएनएस)। पहली बार वैज्ञानिकों के शोध दल ने तीव्र विकरणीय दरार (फास्ट रेडियो बर्स्ट) यानी एफआरबी की खोज की है, जिससे इस बात की पुष्टि हो गई है कि छोटी लेकिन शानदार चमक वाली रेडियो तरंगें सुदूर ब्रह्मांड में उत्पन्न हुई हैं।
इसके लिए कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (सीएसआईआरओ) के रेडियो टेलीस्कोप और जापान की नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्र्जवेटरी ऑफ जापान के सुबारू टेलीस्कोप का उपयोग किया गया था।
एफआरबी एक मिलीसेकंड में जितनी ऊर्जा उत्सर्जित करती है उतनी ही ऊर्जा सूर्य 10 हजार सालों में उत्सर्जित करता है।
सीएसआईआरओ में एस्ट्रोफिजिक्स के मुख्य सिमॉन जॉन्सटन ने बताया, “इस खोज ने इन विस्फोटों के बनने और उनके कारणों पर अध्ययन करने का मार्ग प्रशस्त किया है।”
अब तक केवल 16 विस्फोट ही पाए गए हैं, लेकिन खगोलविदों का अनुमान है कि यह एक दिन में दस हजार बार विस्फोटित होते हैं। इस नई खोज ने मेजबान आकाशगंगा के लगभग छह अरब प्रकाश वर्ष दूर हुए विस्फोट को दर्ज किया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि इस खोज ने पुष्टि की एफआरबी ब्रह्मांड में मिसिंग मैटर को ढूंढ़ सकती है।
खगोलविदों की धारणा है कि ब्रह्मांड में 70 प्रतिशत डार्क एनर्जी, 25 प्रतिशत डार्क मैटर और 5 प्रतिशत सामान्य मैटर है। लेकिन वैज्ञानिकों को केवल सामान्य मैटर की ही जानकारी है। बाकि पदार्थ को सीधे तौर पर जानकारी नहीं है। इसलिए इसे खोया हुआ पदार्थ (मिसिंग मैटर) कहा गया है।
खगोल विज्ञान और खगोलीय यांत्रिकी में गुप्त ऊर्जा, ऊर्जा का एक काल्पनिक रूप है, जो सम्पूर्ण अंतरिक्ष में व्याप्त होता है एवं जिसमें ब्रह्माण्ड के विस्तार की दर को बढ़ाने की प्रवृत्ति होती है।
वहीं डार्क मैटर एक काल्पनिक पदार्थ है। इसकी विशेषता है कि अन्य पदार्थ अपने द्वारा उत्सर्जित विकिरण से पहचाने जा सकते हैं, मगर डार्क मैटर अपने द्वारा उत्सर्जित विकिरण से पहचाने नहीं जा सकते। इनके अस्तित्व का अनुमान ²श्यमान पदार्थो पर इनके द्वारा आरोपित गुरुत्वीय प्रभावों से किया जाता है।
एफआरबी का उपयोग कर शोध दल सामान्य पदार्थ के आंकड़ों के साथ ही सही, लेकिन ब्रह्मांड का वजन मापने में सक्षम हो गया है। उनका कहना है कि कुछ समय में हम इस पर अत्यधिक प्रकाश डाल पाएंगे।
यह शोध पत्रिका ‘नेचर’ में प्रकाशित हुआ है।