जिशान के किंघे गांव निवासी जियान सिदान ने कहा, “एक बार तहखाने में पानी जमा करने पर 50 दिनों तक चलता है।” इस गांव में नलों से पानी की आपूर्ति नहीं है।
जिया और उनके जैसे दूसरे लोगों के लिए स्थिति काफी असुविधाजनक है और वहां सूखे की काफी संभावना है। इससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और व्यापार को आकृष्ट करने की क्षमता पर सीधा प्रभाव पड़ा है।
सरकार पर जहां पूरे देश को पानी मुहैया कराने की अहम जिम्मेदारी है, वहीं स्थानीय अधिकारी यहां के निवासियों को दिलासा दे रहे हैं कि बंदर वर्ष में उनके नलों में पानी आने लगेगा।
केंद्र सरकार ने 2020 तक 80 फीसदी ग्रामीण आबादी तक नलों के जरिए पानी पहुंचाने का संकल्प लिया है। चीन के सालाना ‘दो सत्र’ में गरीबी हटाओ जिसमें पानी की आपूर्ति भी शामिल है, एक अहम मुद्दा होता है। सभी विधानसभाओं के विधायकों और सलाहकारों की यह अहम राजनीतिक बैठक अगले महीने होने वाली है।
चीन में प्रति व्यक्ति जल संसाधन वैश्विक औसत का महज एक-तिहाई है। ग्रामीण क्षेत्रों में खासतौर से देश के पश्चिमी इलाकों में हजारों-लाखों लोग पेयजल की कमी से जूझ रहे हैं।
किंघे गांव के 4,000 ग्रामीण नजदीकी कुओं से एक किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं। उनमें से कुछ को निजी व्यापारियों से महंगा पानी खरीदना पड़ता है, जो कुएं से ट्रक में पानी भरकर ढोकर लाते हैं, जबकि कइयों ने अपने घरों में पानी के लिए तहखाने बना रखे हैं।
जिया के मुताबिक, जिन घरों में निजी पानी के ट्रक पानी पहुंचाते हैं, वे 70 युआन (10.70 डॉलर) हर महीने इस सेवा का शुल्क वसूलते हैं। यह मोटे तौर पर नल के पानी की एक साल की आपूर्ति के बराबर की लागत है। पानी का तहखाना बनवाने का शुल्क अलग से 1000 से 2000 युआन है।
यहां आश्चर्य की बात नहीं है कि ग्रामीणों ने पानी का किफायत से इस्तेमाल सीख लिया है। “हम कपड़े धोने से पहले उससे बच्चों को नहलाते हैं। हम निथारने में कम से कम पानी का इस्तेमाल करते हैं और वाशिंग मशीन का इस्तेमाल नहीं करते हैं।”
पानी को जमा रखना भी एक दूसरी समस्या है। तहखाने में ज्यादा दिन रखने पर पानी खराब होने लगता है। ग्रामीण उसमें सोडियम बाइकार्बोनेट डालकर उसे कीटाणुरहित रखते हैं।
लिनलि में पिछले पांच सालों में 11.6 करोड़ लोगों को नल का पानी मुहैया कराया गया, जिनमें से गुंझाऊ प्रांत के बिजी सिटी के हेहुआ गांव के 38 वर्षीय लिन लिन ने कहा कि जून से हेहुआ के ग्रामीणों को पानी के लिए लंबी दूरी तय करने से छुटकारा मिला है।
अब लिन और उनकी पत्नी पर गांव में ही बने रहने का कोई दबाव नहीं है। यह जोड़ा अब प्रवासी कामगार बन चुका है और 6,000 युआन प्रति महीने से ज्यादा की कमाई कर रहा है। “इन पैसों से हमने अपने घर की मरम्मत कराई और एक वॉटर हीटर भी लगवाया”। उन्होंने कहा, “अब हमारा जब भी मन करता है हम नहा पाते हैं।”
हेहुआ के 668 घरों से कम से कम 600 लोग काम के सिलसिले में शहरों में रहते हैं। गांव के मुखिया लेई यिंगजी ने कहा कि इससे प्रति व्यक्ति आय बढ़कर दोगुना से ज्यादा हो गई है।
जिया सिदान उनलोगों की श्रेणी में शामिल होने से काफी उत्साहित हैं, जिन्हें नल से पेयजल की आपूर्ति होती है। वे बताते हैं, “हमें बर्फीली सर्दी में पानी ढोने की जरूरत अब नहीं पड़ती। गर्मियों में हमारे बच्चे रोजाना नहा पाते हैं।”