कोलकाता, 21 फरवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां कहा कि देश की आंतरिक ताकत इसकी आध्यात्मिक परंपरा में निहित है, जो यहां के लोगों को समुदाय से परे एक अटूट बंधन में बांधे रखती है।
कोलकाता, 21 फरवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां कहा कि देश की आंतरिक ताकत इसकी आध्यात्मिक परंपरा में निहित है, जो यहां के लोगों को समुदाय से परे एक अटूट बंधन में बांधे रखती है।
मोदी ने यहां श्री गौड़िया मठ एवं मिशन के शताब्दी समारोह के उद्घाटन समारोह में कहा, “हमारी ताकत न सिर्फ हमारे संस्कारों, या धार्मिक पुस्तकों या शिक्षाओं में निहित है, बल्कि हमारी ताकत हमारी आध्यात्मिक चेतना में निहित है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आध्यात्मिक संबंध समुदायों से परे हैं।
उन्होंने कहा, “हम किसी समुदाय से बंधे नहीं हैं। समुदाय या पंथ आते हैं, विकसित होते हैं और चले जाते हैं। लेकिन हम अटूट आध्यात्मिक बंधनों में बंधे रहते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशों में लोग आश्चर्य करते हैं कि भारत समय-समय पर तोड़े-फोड़े जाने के बावजूद लगातार मजबूती के साथ खड़ा कैसे है।
मोदी ने कहा, “लेकिन सिर्फ वही समय के थपेड़ों के साथ लगातार खड़ा रह सकता है, जिसके पास आंतरिक ताकत है। भारत की ताकत आध्यात्मिकता में है। शायद पूरी दुनिया में आपको कोई दूसरी आध्यात्मिक परंपरा नहीं मिलेगी, जिसका अनुसरण वे सभी करते हैं, जो विभिन्न धर्मो के हों।”
उन्होंने कहा, “जो लोग मूर्ति पूजा में विश्वास करते हैं, भारत की आध्यात्मिक परंपरा के विजयगान गाते हैं, और यहां तक कि जो मूर्ति पूजा का विरोध करते हैं वे भी परंपरा के प्रति उतना ही सम्मान रखते हैं।”
मोदी ने भक्ति परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि चैतन्य महाप्रभु जैसे संत इसके प्रवर्तकों में थे।
मोदी ने कहा कि देश यद्यपि स्वतंत्रता सेनानियों की निष्ठा और कुर्बानी को कभी भुला नहीं सकता, “लेकिन हमें भक्ति आंदोलन द्वारा प्रदान किए गए स्वतंत्रता आंदोलन के वैचारिक आधार को भी याद रखना होगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “चाहे वह चैतन्य महाप्रभु हो, या आचार्य शंकर देव, या तिरुवल्लुवर या बासवेश्वर, अनगिनत संतों, पूर्ण आध्यात्मिक चेतनाओं ने भारत की आध्यात्मिक परंपरा को भक्ति आंदोलन के जरिए जिंदा बनाए रखा।”
उन्होंने कहा, “इसलिए जब आजादी का आंदोलन बड़ा हुआ, भक्ति आंदोलन ने उसे वैचारिक रूप से मजबूत बनाया।”