वाशिंगटन: आतंकवाद पर वाषिर्क अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 में जो आतंकवादी हमले हुए और जिनमें लोग हताहत हुए उनमें से ज्यादातर हमले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और इराक में हुए।
बहरहाल, ‘यूएस स्टेट डिपार्टमेंट कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म-2012’ ने यह भी उजागर किया गया कि पाकिस्तान में अलकायदा का केन्द्र कमजोर हो गया है। यह रिपोर्ट कल अमेरिकी संसद को सौंपी गई है।
रिपोर्ट में बताया गया है, ‘हालांकि 2012 में आतंकवादी हमले 85 विभिन्न देशों में हुए, वे भौगोलिक रूप से बहुत केन्द्रित थे।’ रिपोर्ट के अनुसार, ‘हाल के वर्षों में आधे से ज्यादा हमले (55 प्रतिशत), मौतें (62 प्रतिशत) और घायल (65 प्रतिशत) सिर्फ तीन देश – पाकिस्तान, इराक, और अफगानिस्तान में हुए।’
यूएस स्टेट डिपार्टमेंट कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म-2012 के अनुसार, ‘हालांकि हमने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अलकायदा के केन्द्र को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया, अब भी पनाहगाहों से योजना बनाने और हमले संचालित करने की उसकी क्षमता बाकी है।’
रिपोर्ट में बताया गया है, ‘‘पाकिस्तान में अलकायदा केन्द्र का कमजोर होना जारी है। नेतृत्व को पहुंचे नुकसान के नतीजे के तौर पर, गतिविधियां और हमले संचालित करने की अलकायदा केन्द्र की क्षमता घटी है क्योंकि उसके नेता अपना अधिकाधिक ध्यान अपने अस्तित्व पर केन्द्रित कर रहे हैं।’’ यूएस स्टेट डिपार्टमेंट कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म-2012 के अनुसार अलकायदा के खिलाफ विश्वव्यापी अभियान के चलते ऐमन अल जवाहिरी नीत अलकायदा केन्द्र खासा कमजोर हुआ है।
रिपोर्ट में बताया गया है, ‘ओसामा बिन लादेन की मौत अल-कायदा के खिलाफ संघर्ष का सबसे अहम संगे-मील था, लेकिन और भी कामयाबियां थीं – अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र में दर्जनों अलकायदा नेताओं को संघर्ष से हटाया गया।’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दक्षिण एशिया में अलकायदा के सर्वाधिक क्षमतावान गुर्गों में से एक इलियास कश्मीरी, और अल-कायदा के दूसरे नंबर के कमांडर अतिया अब्दुल रहमान 2011 में मारे गए।’ रिपोर्ट में इंगित किया गया है कि अल-कायदा नेता अबु यहिया अल-लिबी और अबु जैद अल-कुवैती 2012 में मारे गए।
रिपोर्ट में बताया गया है कि नेतृत्व के नुकसान ने अलकायदा से संबद्ध संगठनों को ज्यादा स्वतंत्र बनाया है और वे अधिकाधिक अपना लक्ष्य तय कर रहे हैं और अपना निशाना चिह्नित कर रहे हैं।
रिपोर्ट कहती है, ‘अल-कायदा, अफगान तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और समानधर्मी समूह अफगानिस्तान या पाकिस्तान सरहद की दोनों तरफ से अपनी पनाहगाहों से अमेरिका, गठबंधन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हितों के खिलाफ अभियान संचालित करना जारी रखे हुए हैं।