भोपाल, 19 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 31 वर्ष पूर्व हुए यूनियन कार्बाइड गैस हादसे के आरोपियों को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अधिकतम सजा दिलाने की तैयारी कर रहा है। यह बात भोपाल की जिला अदालत में गुरुवार से चल रही मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान शुक्रवार को सामने आई है।
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि जांच एजेंसी की कोशिश है कि आरोपियों को 3,800 मौतों के मामले में एक सजा न मिले, बल्कि 3,800 प्रकरणों की अलग-अलग सजा हो।
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि “आरोपियों को एक प्रकरण में सजा मिली है। कोशिश होगी कि आरोपियों को अधिकतम सजा मिले। इसके लिए सबसे पहले दर्ज प्रकरण अर्थात 304-ए भाग दो के मुताबिक सजा मिले, वह भी अलग-अलग 3800 प्रकरणों में।”
मामले से जुड़े एक वकील ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव दुबे की अदालत में आरोपियों द्वारा दायर याचिका पर शनिवार तक सुनवाई चलनी थी, लेकिन बचाव पक्ष की मांग पर अदालत ने सुनवाई मार्च-अप्रैल में किसी समय करने के लिए टाल दी, जिसकी तिथि बाद में तय की जाएगी।
वकील ने बताया कि अगली सुनवाई के दौरान आरोपियों के बयान दर्ज किए जाएंगे, और उसके बाद ही अदालत सजा सुनाएगी।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में सबसे पहला मामला हनुमानगंज थाने ने 304-ए भाग दो के तहत दर्ज किया गया था। इस पर हुई सुनवाई में निचली अदालत ने 304-ए के तहत आरोप तय किए।
विधिक सूत्रों के अनुसार, 304-ए भाग दो में गैर इरादतन हत्या का प्रकरण बनता है, जिसमें 10 वर्ष कैद की सजा हो सकती है। जबकि 304-ए में लापरवाही का प्रकरण बनता है और अधिकतम तीन वर्ष की सजा हो सकती है।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एम. पी. तिवारी ने इस मामले में सात जून, 2010 को आठ आरोपियों के खिलाफ दो-दो वर्ष कैद की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ आरोपियों ने सत्र न्यायालय में अपील की। इस पर अंतिम चरण की सुनवाई चल रही है।
इस मामले की जांच छह दिसंबर को सीबीआई को सौंप दी गई थी। उसके बाद एक दिसंबर, 1987 को सीबीआई ने आरोप-पत्र और जांच प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया था।
उल्लेखनीय है कि दो-तीन दिसंबर, 1984 की दरम्यानी रात यूनियन कार्बाइड संयंत्र से जहरीली गैस रिसी थी। इस हादसे में तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।