रांची, 19 फरवरी (आईएएनएस)। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के साथ लगभग 10 लाख किसान जुड़े हुए हैं और वे विभिन्न फेडरेशनों को दूध बेचकर 15 से 20 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा कमा रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।
रांची, 19 फरवरी (आईएएनएस)। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के साथ लगभग 10 लाख किसान जुड़े हुए हैं और वे विभिन्न फेडरेशनों को दूध बेचकर 15 से 20 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा कमा रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।
टी नंद कुमार, जो कि नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के चेयरमैन हैं, ने कहा कि दूध उत्पादन में गुजरात सबसे आगे है और उसके बाद कर्नाटक है। देश में 2014-15 के दौरान कुल दुध उत्पादन 14 करोड़ टन रहा।
नंद कुमार ने बताया कि नेशनल डेयरी प्लान-1 जिसका अभी तीसरा साल चल रहा है, को 15 राज्यों में लागू किया गया है। यह देश के कुल दुध उत्पादन का 90 फीसदी है।
शुरुआत में एनडीडीबी को 14 दुध उत्पादक राज्यों में लागू किया गया था जिस पर 2011-12 से 2016-17 तक छह सालों में कुल 2,242 करोड़ रुपये खर्च किए गए। अब इस योजना को दो साल के लिए और बढ़ा दिया गया है।
नंद कुमार ने बताया कि एनडीडीबी अब 40 करोड़ लीटर का उत्पादन करता है और दो सालों का योजना विस्तार इसलिए किया गया है कि लक्ष्य को पूरा किया जा सके।
उन्होंने बताया कि सरकार ने जून में तीन और राज्यों उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ को इस योजना में शामिल किया जिनका गठन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की पहली सरकार के दौरान किया गया था।
नंद कुमार ने आईएएनएस को बताया, “इन तीनों राज्यों का विकास बेहद जरूरी है जहां काफी गरीबी है। वहां डेयरी विकास से राज्य को सामाजिक-आर्थिक रूप से फायदा होगा।”
एनडीडीबी ने झारखंड स्टेट को-आपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर फेडरेशन का प्रबंधन 2014 में अपने हाथों में लिया। जो पिछले पांच सालों से मेघा ब्रांड के नाम से दूध बेच रही है।
उन्होंने कहा कि जब रांची में एक लाख लीटर दूध प्रसंस्करण संयंत्र शुरू हो जाएगा तो ज्यादा से ज्यादा किसान फेडरेशन के साथ जुड़ पाएंगे।
उन्होंने कहा कि पहले किसानों को 16-17 रुपये प्रति लीटर दूध पर फायदा होता था, लेकिन अब उन्हें 27-28 रुपये प्रति लीटर का लाभ हो रहा है। इससे 20,000 से ज्यादा किसानों को आय हो रही है।
बोर्ड ने झारखंड के 370 गांवों में दूध संग्रहण संयंत्र स्थापित किया है जिससे 600 गांवों के लोग जुड़े हैं। हालांकि झारखंड में बिजली की कमी एक बड़ी समस्या है, इसलिए डीजल की खपत होने से लागत बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि पूर्वी क्षेत्रों में दूध की खपत कम होती है जिसमें झारखंड और असम शामिल है।
एनडीडीबी की 1965 में वर्गीज कुरियन ने स्थापना की थी।